सुख-दुःख जुटाया है...
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तिनका-तिनका जोड़कर
सुख-दुःख जुटाया है,
सुख कभी-कभी झाँककर
अपने होने का एहसास कराता है
दुःख सोचता है
कभी तो मैं भूलूँ उसे
ज़रा देर वो आराम करे
मेरे मायके की
मेरे मायके की
टिन वाली पेटी में,
तिनका-तिनका जोड़कर
मैंने सुख-दुख जुटाया है।
- जेन्नी शबनम (24. 4. 2017)
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