ऐसा वास्ता रखना
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हमारे दरम्यान इतना फ़ासला रखना
बसर हो सकें रिश्ते ऐसा वास्ता रखना !
लरजते आँसुओं के शबनमी बयाँ
दोस्तों की महफ़िल से बचा रखना !
काँटों से बचा के दामन हम आएँगे
वस्ल की शाम अधूरी बहला रखना !
कारवाँ थम जाए जो तूफ़ान से कहीं
ख्यालों की एक बस्ती सजा रखना !
बेमुरव्वत दुनिया की फ़िक्र कौन करे
मेरे वास्ते ज़िन्दगी का आसरा रखना !
सवाल पूछ ग़ैरों के सामने शर्मिंदा न करना
मेरे जीस्त की नादानियों को छिपा रखना !
'शब' को मिल जाए अँधेरों से निज़ात
दिल में एक चराग तुम जला रखना !
- जेन्नी शबनम (मार्च 3, 2012)
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