ज़िन्दगी स्वाहा...
कब तक आखिर मेढ़क बन कर रहें
आओ संग-संग
*******
आओ संग-संग
एक बड़ी छलाँग लगा ही लें
पार कर गए तो मंजिल
गिर पड़े तो
वही दुनिया
वही कुआँ
वही दुनिया
वही कुआँ
वही कुआँ के मेढक...
टर्र-टर्र करते
एक दूसरे को ताकते
ज़िन्दगी स्वाहा...!
- जेन्नी शबनम (3. 3. 2013)
_______________________________