तय था...
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तय था
प्रेम का बिरवा लगाएँगे
फूल खिलेंगे और
सुगंध से भर देंगे
एक दूजे का दामन हम !
तय तो था
अंजुरी में भर
खुशिया लुटाएँगे
जब थक कर
एक दूजे को समेटेंगे हम !
तय यह भी था
मिट जाएँ बेरहम ज़माने के
हाथों मगर
दिल में लिखे नाम
मिटने न देंगे कभी हम !
तय यह भी तो था
बिछड़ गए ग़र तो
एक दूजे की
यादों को सहेजकर
अर्ध्य देंगे हम !
बस यह तय न कर पाए थे
कि तय किये सभी
सपने बिखर जाएँ
फिर
क्या करेंगे हम ?
- जेन्नी शबनम (30 . 1 . 2011)
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तय था
प्रेम का बिरवा लगाएँगे
फूल खिलेंगे और
सुगंध से भर देंगे
एक दूजे का दामन हम !
तय तो था
अंजुरी में भर
खुशिया लुटाएँगे
जब थक कर
एक दूजे को समेटेंगे हम !
तय यह भी था
मिट जाएँ बेरहम ज़माने के
हाथों मगर
दिल में लिखे नाम
मिटने न देंगे कभी हम !
तय यह भी तो था
बिछड़ गए ग़र तो
एक दूजे की
यादों को सहेजकर
अर्ध्य देंगे हम !
बस यह तय न कर पाए थे
कि तय किये सभी
सपने बिखर जाएँ
फिर
क्या करेंगे हम ?
- जेन्नी शबनम (30 . 1 . 2011)
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