निपटाया जाएगा
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विरोध के स्वर को कुछ यूँ दबाया जाएगा
होश में जो हो उसे पागल बताया जाएगा।
काट छाँटकर बाँट-बाँटकर यह संसार चलेगा
रोटी और बेटी का मसला यूँ निपटाया जाएगा।
क्रूरता और पाश्विकता कई खेमों में बँटे
चौक चौराहों पर टँगा जिस्म दिखाया जाएगा।
हदों की परवाह किसे बेहद से हम सब गुज़रे
मुट्ठियों का इंक्लाब अब बेदम कराया जाएगा।
नहीं परवाह सबको ज़माने के बदख्याली की
नफ़रतों में अमन का पौधा खिलाया जाएगा।
बाट जोहकर समय जब हथेलियों से फिसल जाएगा
बद्दुआएँ 'शब' को देकर फिर ख़ूब पछताया जाएगा।
- जेन्नी शबनम (27. 4. 2020)
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