तारों का बाग़
(दिवाली के 8 हाइकु)
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1.
तारों के गुच्छे
ज़मीं पे छितराए
मन लुभाए !
2.
ज़मीं पे छितराए
मन लुभाए !
2.
बिजली जली
दीपों का दम टूटा
दिवाली सजी !
3.
3.
तारों का बाग़
धरती पे बिखरा
आज की रात !
4.
धरती पे बिखरा
आज की रात !
4.
दीप जलाओ
प्रेम प्यार की रीत
जी में बसाओ !
प्रेम प्यार की रीत
जी में बसाओ !
5.
प्रदीप्त दीया
मन का अमावस्या
भगा न सका !
6.
रात ने ओढ़ा
आसमां का काजल
दिवाली रात !
7.
आतिशबाजी
जुगनुओं की रैली
तम बेचारा !
8.
भगा न पाई
दुनिया की दीवाली
मन का तम !
- जेन्नी शबनम ( 20. 10. 2014)
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