बुधवार, 8 अगस्त 2012

363. सिर्फ़ मेरा (क्षणिका)

सिर्फ़ मेरा

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ज़िन्दगी का अर्थ, किस मिट्टी में ढूँढें?
कौन कहे कि आ जाओ मेरे पास 
रिश्ते नाते अपने पराये, सभी बेपरवाह
किनसे कहें, एक बार याद करो मुझे, सिर्फ़ मेरे लिए 
बहुत चाहता है मन, कहीं कोई अपना, जो सिर्फ़ मेरा

- जेन्नी शबनम (8. 8. 2012)
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