दंगा...
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किसी ने कहा ये हिन्दु मरा
कोई कहे ये मुसलमान था
अपने-अपने दड़बे में कैद
बँटा सारा हिन्दुस्तान था !
थरथराते जिस्मों के टुकड़े
मगर जिह्वा पे रहीम-ओ-राम था
कोई लाल लहू कोई हरा लहू
रंगा सारा हिन्दुस्तान था !
घूँघट और बुर्क़ा उघड़ा
कटा जिस्म कहाँ बेजान था
नौनिहालों के शव पर
रोया सारा हिन्दुस्तान था !
दसों दिशाओं में चीख़ पुकार
ख़ौफ़ से काँपा आसमान था
दहशत और अमानवीयता से
डरा सारा हिन्दुस्तान था !
मंदिर बने कि मस्ज़िद गिरे
अवाम नहीं सत्ता का ये खेल था
मंदिर-मस्जिद के झगड़े में
मरा सारा हिन्दुस्तान था !
- जेन्नी शबनम (24. 10. 2019)
(भागलपुर दंगा के 30 साल होने पर)
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