आँखें रोएँगी और हँसेंगे हम
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ये आँखें रोएँगी और हँसेंगे हम !
सपनों की बातें सारी झूठी-मुठी
लेकिन कच्चे-पक्के सब बोएँगे हम !
मालूम तो थी तेरी मगरूरियत
पर तुझको चाहा कैसे भूलेंगे हम !
तेरे लब की हँसी पे हम मिट गए
तुझसे कभी पर कह न पाएँगे हम !
तुम शेर कहो हम ग़ज़ल कहें
ऐसी हसरत ख़ुद मिटाएँगे हम !
तू जानता है पर ज़ख़्म भी देता है
तुझसे मिले दर्द से टूट जाएँगे हम !
किसने कब-कब तोड़ा है 'शब' को
यह कहानी नही सुनाएँगे हम !
- जेन्नी शबनम (5. 2. 2015)
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