शनिवार, 5 नवंबर 2011

297. चक्रव्यूह (पुस्तक - 74)

चक्रव्यूह

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कैसे-कैसे इस्तेमाल की जाती हूँ
अनजाने ही, चक्रव्यूह में घुस जाती हूँ
जानती हूँ, मैं अभिमन्यु नहीं
जिसने चक्रव्यूह भेदना गर्भ में सीखा
मैं स्त्री हूँ, जो छली जाती है
कभी भावना से
कभी संबंधों के हथियार से
कभी सुख के प्रलोभन से
कभी ख़ुद के बंधन से
हर बार चक्रव्यूह में समाकर
एक नयी अभिमन्यु बन जाती हूँ
जिसने चक्रव्यूह से निकलना नहीं सीखा!

- जेन्नी शबनम (1. 11. 2011)
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