अर्थहीन नहीं...
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जी चाहता है
सारे उगते सवालों को
ढेंकी में कूटकर
सबकी नज़रें बचाकर
पास के पोखर में फ़ेंक आएँ
ताकि सवाल पूर्णतः नष्ट हो जाए
और अपने अर्थहीन होने पर
अपनी ही मुहर लगा दें
या फिर हर एक को
एक-एक गड्ढे में दफ़न कर
उस पर एक-एक पौधा रोप दें
जितने पौधे उतने ही सवाल
और जब मुझे व्यर्थ माना जाए
तब एक-एक पौधे की गिनती कर बता दें
कि मेरे ज़ेहन की उर्वरा शक्ति कितनी थी मैं अर्थहीन नहीं थी!
- जेन्नी शबनम (16. 2. 2016)
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