शुक्रवार, 29 मई 2015

494. दर्द (दर्द पर 20 हाइकु) (पुस्तक- 71-73)

दर्द 

*******

1.  
बहुत चाहा    
दर्द की टकसाल
नहीं घटती 

2.
दर्द है गंगा
यह मन गंगोत्री-
उद्गमस्थल
 

3.
मालूम होता
गर दर्द का स्रोत,
दफ़ना देते
  

4.
दर्द पिघला
बादल-सा बरसा
ज़माने बाद
 

5.
किस राह से
मन में दर्द घुसा,  
नहीं निकला
 

6.
टिका ही रहा
मन की देहरी पे,
दर्द अतिथि
 

7.
बहुत मारा
दर्द ने चाबुक से,  
मन छिलाया
 

8.
तू न जा कहीं,

दर्द के बिना जीना
आदत नहीं
 

9. 
यूँ तन्हा किया  
ज्यों चकमा दे दिया,  
निगोड़ा दर्द
  

10.
ये आसमान    
दर्द से रोता रहा,  
भीगी धरती 

11.
सौग़ात मिली,
प्रेम के साथ दर्द,  
ज्यों फूल-काँटे
  

12.
मन में खिले 
हर दर्द के फूल
रंग अनूठे
  

13.
तमाम रात
कल लटका रहा  
तारों-सा दर्द
  

14.
क़ैद कर दूँ
पिंजरे में दर्द को
जी चाहता है
  

15.
फुर्र से उड़ा
ज्यों ही तू घर आया
दर्द का पंछी
  

16. 
ज्यों ख़ाली हुई 
मन की पगडंडी,
दर्द समाया
  

17.
रोके न रुका, 
बेलगाम दौड़ता   
दर्द है आया  

18. 
प्यार भी देता
मीठा-मीठा-सा दर्द,  
यही तो मज़ा
  

19. 
दर्द उफना,  
बदरा बन घिरा,    
आँखों से गिरा  

20.
छुप न सका,
आँखो ने चुगली की  
दर्द है दिखा
   

- जेन्नी शबनम (22. 5. 2015) 
_____________________