मुक्ति का मार्ग (20 हाइकु)
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1.
मुक्ति का मार्ग
जाने कहाँ है गुम
पसरा तम !
2.
कैसी तलाश
भटके मारा-मारा
मन-बंजारा !
3.
बहुत देखा -
अपनों का फ़रेब
मन कसैला !
4.
मन यूँ थका,
ज्यों वक्त के सीने पे
दर्द हो रुका !
5.
सफ़र लम्बा
न साया न सहारा
जीवन तन्हा !
6.
उम्र यूँ बीती,
जैसे जेठ की धूप
तन जलाती !
7.
उम्र यूँ ढली
पूरब से पश्चिम
किरणें चलीं !
8.
उम्मीदें लौटीं
चौखट है उदास
बची न आस !
9.
मेरा आकाश
मुझसे बड़ी दूर
है मगरूर।
मुझसे बड़ी दूर
है मगरूर।
10.
चुकता किए
उधार के सपने
उऋण हुए !
11.
जीवन - भ्रम
अनवरत क्रम
न होता पूर्ण !
12.
बचा है शेष -
दर्द का अवशेष,
यही जीवन !
13.
मन की आँखें
ज़िन्दगी की तासीर
ये पहचाने !
14.
नही ख़बर
होगी कैसे बसर
क्रूर ज़िन्दगी !
15.
ये कैसा जीना
ख़ामोश दर्द पीना
ज़हर जैसा !
16.
जीवन - मर्म
दर्द पी कर जीना
मानव जन्म !
17.
मन - तीरथ
अकारथ ये पथ
मगर जाना !
18.
ताक पे पड़ी
चिन्दी-चिन्दी ज़िन्दगी
दीमक लगी !
19.
स्वाँग रचता
यह कैसा संसार
दर्द अपार !
20.
मिलता वर
मुट्ठी में हो अम्बर
मन की चाह !
- जेन्नी शबनम (29. 2. 2016)
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