दूब (घास पर 11 हाइकु)
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1.
1.
बारहों मास
देती बेशर्त प्यार
दुलारी घास !
3.
6.
देती बेशर्त प्यार
दुलारी घास !
2.
नर्म-नर्म-सी
हरी-हरी ओढ़नी
भूमि ने ओढ़ी !
3.
मोती बिखेरे
शबनमी दूब पे,
अरूणोदय !
4.
अरूणोदय !
4.
दूब की गोद
यूँ सुखद प्रतीति
ज्यों माँ की गोद !
5.
यूँ सुखद प्रतीति
ज्यों माँ की गोद !
5.
पीली हो गई
मेघ ने मुँह मोड़ा
दूब बेचारी !
6.
धरा से टूटी
ईश के पाँव चढ़ी
पावन दूभी !
7.
ईश के पाँव चढ़ी
पावन दूभी !
7.
तमाम रात
रोती रही है दूब
अब भी गीली !
8.
रोती रही है दूब
अब भी गीली !
8.
नर्म बिछौना
पथिक का सहारा
दूब बेसूध !
9.
पथिक का सहारा
दूब बेसूध !
9.
कभी आसन
कभी बनी भोजन,
कृपालु दूर्बा !
10.
कभी बनी भोजन,
कृपालु दूर्बा !
10.
ठंड व गर्म
मौसम को झेलती
अड़ी रहती !
11.
मौसम को झेलती
अड़ी रहती !
11.
कर्म पे डटी
कर्तव्यपरायणा,
दूर्बा-जीवन !
कर्तव्यपरायणा,
दूर्बा-जीवन !
- जेन्नी शबनम (21. 3. 2015)
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