चार लाइन भावाभिव्यक्तियाँ
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उम्र भर चले जलती धूप में
पाँव के छाले अब क़दम है रोके
कभी जो छाँव कोई, दमभर मिली
तुम कहते कि एहसान तेरा हुआ!
2.
मेरे साथी! तुम तब थे कहाँ
ज़ख़्मों से जब हम थे घायल हुए
इक तीर था निशाने पे लगा
तन-मन मेरा जब ज़ख़्मी हुआ!
3.
ख़्वाहिशों की लम्बी क़तारें थीं
फफोले-से सपने फूटते रहे
जब दर्द पर मेरे हँसती थी दुनिया
तू कहाँ था, मेरे साथी बता!
4.
जब भटकते रहे थे हम दरबदर
मंदिर-मस्ज़िद सब हमसे बेख़बर
घाव पर नमक छिड़कती थी दुनिया
मेरा दर्द भला क्यों पराया हुआ!
5.
फूल और खार दोनों बिछे थे
सारे खार क्यों मेरे हिस्से
दुखती रगों को छेड़कर तुमने
हँस के थे सुनाए मेरे क़िस्से!
6.
लो अब ये कहानी ख़त्म हो गई
ज़िन्दगी अब नाफ़रमानी हो गई
गर वापस तुम आओ तो देखना
हम तो हारे, तुमने भी कुछ न जीता।
7.
सीले-सीले से जीवन में नहीं रौशनी
चाँद और सूरज भी तो तेरा ही था
शब के रातों की नमी मेरी तक़दीर
उजालों का सौदा तुमने ही किया!
8.
नफ़रतों की दीवार गहरी हुई
ढ़ह न सकी, उम्र भले ठिठकी रही
हो सके तो एक सुराख़ करना
जमाने की ख़ातिर लाज रखना!
9.
जब-जब जीवन से हारती रही
आँखें तुमको ही ढूँढती रही
अपनी दुनिया में उलझे रहे तुम
बता तेरी दुनिया में हम थे कहाँ!
10.
शब के आँसू आसमाँ के आँसू
दिन के आँसू ये किसने भरे
धुँधली नज़रें किसकी मेहरबानी
कभी तो पूछते तुम अपनी ज़ुबानी!
11.
दरम्याने ज़िन्दगी ये कैसा वक़्त आया है
ज़िन्दगी की तड़प भी और मौत की चाहत है
लफ्ज़-लफ्ज़ बिखरे हुए, अधरों पर ख़ामोशी है
ज्यों छिन रही हो ज़िन्दगी, मन में यूँ उदासी है!
12.
अब जो लौटो तुम तो हम क्या करें
ज़ख्म सारे रिस-रिस के अब नासूर बने
तेरे क़र्ज़ के तले है जीवन बीता
ऐ साथी मिलेंगे कभी अलविदा-अलविदा!
- जेन्नी शबनम (10. 10. 2020)
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