शुक्रवार, 20 मई 2016

513. इश्क़ की केतली

इश्क़ की केतली

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इश्क़ की केतली में  
पानी-सी औरत 
और चाय पत्ती-सा मर्द  
जब साथ-साथ उबलते हैं
चाय की सूरत  
चाय की सीरत  
नसों में नशा-सा पसरता है  
पानी-सी औरत का रूप  
बदल जाता है चाय पत्ती-से मर्द में  
और मर्द घुलकर  
दे देता है अपना सारा रंग  
इश्क़ ख़त्म हो जाए  
मगर हर कोशिशों के बावजूद  
पानी-सी अपनी सीरत   
नहीं बदलती औरत  
मर्द अलग हो जाता है  
मगर उसका रंग खो जाता है  
क्योंकि इश्क़ की केतली में  
एक बार  
औरत मर्द मिल चुके होते हैं।  

- जेन्नी शबनम (20. 5, 2016)
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