बुधवार, 30 सितंबर 2015

498. तुम्हारा इंतज़ार है (क्षणिका) (पुस्तक - 39)

तुम्हारा इंतज़ार है

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मेरा शहर अब मुझे आवाज़ नहीं देता  
नहीं पूछता मेरा हाल
नहीं जानना चाहता मेरी अनुपस्थिति की वजह
वक़्त के साथ शहर भी संवेदनहीन हो गया है
या फिर नई जमात से फ़ुर्सत नहीं   
कि पुराने साथी को याद करे
कभी तो कहे- "आ जाओ, तुम्हारा इंतज़ार है!'' 

- जेन्नी शबनम (30. 9. 2015)  
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सोमवार, 21 सितंबर 2015

497. मगज़ का वो हिस्सा

मगज का वो हिस्सा

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अपने मगज़ के उस हिस्से को 
काट देने का मन होता है
जहाँ पर विचार जन्म लेते हैं
और फिर होती है
व्यथा की अनवरत परिक्रमा,
जाने मगज़ का कौन सा हिस्सा है
जो जवाबदेह है
जहाँ सवाल ही सवाल उगते हैं
जवाब नहीं उगते
और जो मुझे सिर्फ़ पीड़ा देते हैं,
उस हिस्से के न होने से
न विचार जन्म लेंगे
न वेदना की गाथा लिखी जाएगी
न कोई अभिव्यक्ति होगी 
न कोई भाषा 
न कविता

- जेन्नी शबनम (21. 9. 2015)
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