अद्भुत रूप (5 ताँका)
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1.
नीले नभ से
झाँक रहा सूरज,
बदली खिली
भीगने को आतुर
धरा का कण-कण !
2.
झूमती नदी
बतियाती लहरें
बलखाती है
ज्यों नागिन हो कोई
अद्भुत रूप लिये !
3.
मैली कुचैली
रोज़-रोज़ है होती
पापों को धोती,
किसी को न रोकती
बिचारी नदी रोती !
4.
जल उठा है
फिर से एक बार
बेचारा चाँद
जाने क्यों चाँदनी है
रूठी अबकी बार !
5.
उठ गया जो
दाना-पानी उसका
उड़ गया वो,
भटके वन-वन
परिंदों का जीवन !
- जेन्नी शबनम (1. 4. 2013)
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19 टिप्पणियां:
सुंदर सहज सार्थक
जीवंत रचना
मन को छूती अनुभूति सुंदर अहसास
बहुत बहुत बधाई
जल उठा है फिर से एक बार बेचारा चाँद जाने क्यों चाँदनी है रूठी अबकी बार !
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,,,
Recent post : होली की हुडदंग कमेंट्स के संग
सजीव शाब्दिक चित्रण भावनाओं का ....!!
बहुत सुन्दर लिखा है जेन्नी जी ....!!
सभी ताँका बहुत भावपूर्ण व अर्थपूर्ण !
~सादर!!!
सभी ताँके सुन्दर.....
लाजवाब!!
अनु
मैली कुचैली
रोज़-रोज़ है होती
पापों को धोती,
किसी को न रोकती
बिचारी नदी रोती ...
बहुत प्रभावी गहरा अर्थ लिए सभी क्षणिकाएं ....
बेहतरीन ...
बहुत ही बढ़िया क्षणिकाएं..
सभी ताँका बहुत भावपूर्ण सहज सुंदर... जेन्नी जी बधाई...
4.
जल उठा है
फिर से एक बार
बेचारा चाँद
जाने क्यों चाँदनी है
रूठी अबकी बार !
5.
उठ गया जो
दाना-पानी उसका
उड़ गया वो,
भटके वन-वन
परिंदों का जीवन !
खुबसूरत एहसास लिए अभिव्यक्ति
जल उठा है
फिर से एक बार
बेचारा चाँद
जाने क्यों चाँदनी है
रूठी अबकी बार !
गज़ब के ताँके ...!!
सुंदर रचना भावनाओं का सुंदर चित्रण.........
बहुत सुंदर सजीव अभिव्यक्ति
वाह! सभी क्षणिकाएं बेहतरीन!
सादर
मधुरेश
क्षमा चाहता हूँ, मुझे इस बात की कम समझ है कि ये क्षणिकाएं कहलाती हैं या ताँके .. रुचिवश ही केवल हिंदी पठन-लेखन करता हूँ। परन्तु जो भी कहलाती हों, बहुत अच्छे लिखे गए हैं, संक्षेप में बहुत कुछ कहते शब्द।
सादर
मधुरेश
मैली कुचैली
रोज़-रोज़ है होती
पापों को धोती,
किसी को न रोकती
बिचारी नदी रोती ...
सभी रचनाएँ बेहतरीन .... नदी के दर्द को भी बखूबी उकेरा है ।
मैली कुचैली
रोज़-रोज़ है होती
पापों को धोती,
किसी को न रोकती
बिचारी नदी रोती !
बेहद गहन भाव लिए ... अनुपम प्रस्तुति
Bahut komal, bahut sunder.
बहुत सुंदर रचना , शुभकामनाये ,
Man ke bhavo ki sundar abhivykti
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