फूल कुमारी उदास है
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एक था राजा एक थी रानी
उसकी बेटी थी फूल कुमारी
फूल कुमारी जब उदास होती...
पढ़ते सुनते, बरस बीत गए
कहानी में, फूल कुमारी उदास होती है
और फिर उसकी हँसी लौट आती है,
सच की दुनिया में
फूल कुमारी की उदासी
आज भी क़ायम है
कोई नहीं आता जो उसकी हँसी लौटाए,
कहानी की फूल कुमारी को हँसाने के लिए
समस्त प्रदेश तत्पर है
फूल कुमारी की हँसी में देश की हँसी शामिल है
फूल कुमारी की उदासी से
पेड़-पौधे भी उदास हो जाते हैं
जीव-जंतु भी और समस्त प्रजा भी,
वक़्त ने करवट ली
दुनिया बदल गई
हँसाने वाले रोबोट आ गए
पर एक वो मसख़रा न आया
जो उस फूलकुमारी की तरह हँसा जाए,
कहानी वाला मसख़रा
क्यों जन्म नहीं लेता?
आख़िर कब तक फूल कुमारी उदास रहेगी
कब तक राजा रानी
अपनी फूलकुमारी के लिए उदास रहेंगे,
अब की फूलकुमारी, उदास होती है तो
कोई और दुखी नहीं होता
न कोई हँसाने की चेष्टा करता है,
सच है, कहानी सिर्फ़ पढ़ने के लिए होती है
जीवन में नहीं उतरती
कहानी कहानी है
ज़िन्दगी ज़िन्दगी!
कहानी की फूलकुमारी
ख़ूबसूरत अल्फ़ाज़ से गढ़ी गई थी
जिसके जीवन की घटनाएँ
मनमाफ़िक मोड़ लेती हैं,
साँस लेती हाड़ मांस की फूलकुमारी
जिसके लिए पूर्व निर्धारित मानदंड हैं
जिसके वश में न हँसना है न उदास होना
न उम्मीद रखना
उसकी उदासी की परवाह कोई नहीं करता,
फूल कुमारी उदास थी
फूल कुमारी उदास है!
- जेन्नी शबनम (2. 4. 2012)
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27 टिप्पणियां:
हार्दिक शुभकामनायें!
वाह जेन्नी जी........
कहानी सिर्फ पढ़ने के लिए होती है
जीवन में नहीं उतरती
कहानी कहानी है
जिंदगी जिंदगी !
एकदम सच कहा.....मगर मानने को जी नहीं चाहता.....उम्मीद है कि हँसेगी ज़रूर राजकुमारी
:-)
सस्नेह
अनु
उसकी उदासी की परवाह कोई नहीं करता,
फूल कुमारी उदास थी
फूल कुमारी उदास है !
Kitna sahee kaha aapne! Jaise mere moohse alfaaz chheen liye!
सकल वेदना से घिरी उदास जिंदगी ....
पर यकीन मानिये उदासी के बाद खुशिज़रूर आएगी ....
फूलकुमारी ज़रूर हँसेगी ....
शुभकामनायें ...
बहुत ही कोमल भावनाओं में रची-बसी खूबसूरत रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई।
कौन लौटाएगा उदासी ? राजकुमार हो तब न !!!
बहुत सुंदर अच्छी प्रस्तुति........
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: यदि मै तुमसे कहूँ.....
Udas thi.. Udas hain....
Apne Udas rahegi nahi likha...
to asha kar sakte hain... ki fool kumaari hamesha udaas nahi rahegi...
uske khush hone ki umeed baaki hain....
behad acchi rachna...
फूल कुमारी उदास होती है
और फिर उसकी हँसी लौट आती है,
बहुत सुंदर प्रस्तुति..
फूल कुमारी उदास थी
फूल कुमारी उदास है !
aapne jindagi ko karib se mahasus
kiya hai .aapake kathopakathan ka andaz dil ko chhu gaya .koi badhai nahin ISHWAR aapako shatayu rakhen aur aap bas aise hi likhati rahen
सच है
कहानी सिर्फ पढ़ने के लिए होती है
जीवन में नहीं उतरती
कहानी कहानी है
जिंदगी जिंदगी !
वाह..कितनी गहरी बात की है आपने इस रचना के माध्यम से...बधाई
नीरज
सांस लेती हाड़ मांस की फूलकुमारी
जिसके लिए पूर्व निर्धारित मानदंड हैं
जिसके वश में न हँसना है न उदास होना
न उम्मीद रखना
ummeedon pe duniya kayam hai Foolkumari ke din jaroor vapas ayenge.....bs bhagwan ke ghr der hai andher nahi hai.....samay ke sath sb kuchh badal raha hai
khoobsoorat rachana ke liye hardik badhai Shabnam ji.
फूल कुमारी उदास थी
फूल कुमारी उदास है !
तब फुलकुमारी एक मसखरे की हरकतों से खुश हो जाती थी
लेकिन वक़्त के साथ ...जीवन में इतनी तल्खी आ गयी .....की उसकी मुस्कराहट छिन गयी ..लेकिन फिर भी ... उम्मीद नहीं टूटी .....
दो-तीन दिनों तक नेट से बाहर रहा! एक मित्र के घर जाकर मेल चेक किये और एक-दो पुरानी रचनाओं को पोस्ट कर दिया। लेकिन मंगलवार को फिर देहरादून जाना है। इसलिए अभी सभी के यहाँ जाकर कमेंट करना सम्भव नहीं होगा। आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
बहुत भावपूर्ण रचना....फूल कुमारी उदास........
कहानी सिर्फ पढ़ने के लिए होती है
जीवन में नहीं उतरती
कहानी कहानी है
जिंदगी जिंदगी !
एकदम सच्ची पंक्तियाँ।
सादर
सच के करीब है आपकी भावाव्यक्ति ...
पर राजकुमारी जरूर हँसेगी इक दिन ...
कहानी जीवन से बहुत दूर है...बहुत सुन्दर मर्मस्पर्शी प्रस्तुति...
'फूल कुमारी उदास है' आपने अपनी इस कविता में फूलकुमारी के प्रतीकात्मक अर्थ का बहुत खूबसूरती से निर्वाह किया है। यदि मानव के पास यह दिल का ठींकरा न होता तो उदासी का भी कोई अवसर नहीं मिलता । मन है कि ज़रा -सी बात सारी खुशी काफ़ूर कर देती है। गोपाल दास नीरज जी ने अपने एक गीत में बहुत अच्ची बातकही है-
'' मन तो मौसम -सा चंचल है
सबका होकर भी न किसी का
कभी सुबह का कभी शाम का
कभी रुदन का कभी हँसी का ।"
अच्छी कविता पढ़ने के लिए 'लम्हों का सफ़र' पढ़ना ज़रूरी हो जाता है । आपकी इन पंक्तियों का तो कोई जवाब नहीं है -
सच है
कहानी सिर्फ पढ़ने के लिए होती है
जीवन में नहीं उतरती
कहानी कहानी है
जिंदगी जिंदगी !
कहानी की फूलकुमारी
खूबसूरत अल्फ़ाज़ से गढ़ी गई थी
जिसके जीवन की घटनाएं
मन माफिक मोड़ लेती है,
सांस लेती हाड़ मांस की फूलकुमारी
जिसके लिए पूर्व निर्धारित मानदंड हैं
जिसके वश में न हँसना है न उदास होना
न उम्मीद रखना
उसकी उदासी की परवाह कोई नहीं करता,
फूल कुमारी उदास थी
फूल कुमारी उदास है !
-ईश्वर से दुआ है कि आपकी यह कलम सदा इसी तरह काव्य मुक्ता बाँटती रहे ।
बहुत भावपूर्ण रचना। धन्यवाद ।
कहानी की फूलकुमारी
खूबसूरत अल्फ़ाज़ों से गढ़ी गई थी
जिसके जीवन की घटनाएं
मन माफिक मोड़ लेती है,
सांस लेती हाड़ मांस की फूलकुमारी
जिसके लिए पूर्व निर्धारित मानदंड हैं
जिसके वश में न हँसना है न उदास होना
न उम्मीद रखना
उसकी उदासी की परवाह कोई नहीं करता,
फूल कुमारी उदास थी
फूल कुमारी उदास है !
बहुत ही सुन्दर.....
अच्छी प्रस्तुति के लिये बहुत बहुत बधाई....
बहुत ही सुंदर कविता |जेन्नी जी ब्लॉग पर आकर उत्साहवर्धन करने हेतु आभार |
बहुत ही सुंदर कविता |अच्छी प्रस्तुति
सांस लेती हाड़ मांस की फूलकुमारी
जिसके लिए पूर्व निर्धारित मानदंड हैं....
खूबसूरत रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई।
जेन्नी जी...... वो दिन जरुर आएगा जब राजकुमारी .हँसेगी ....सुन्दर रचना...
फूलकुमारी तब भी हँसी थी फूलकुमारी अब भी हँसेगी। प्रतीक्षा कीजिए।
सुंदर अभिव्यक्ति !
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