आत्मा होती अमर (10 सेदोका)
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1.
छिड़ी है जंग
सच झूठ के बीच
किसकी होगी जीत ?
झूठ हारता
भले देर-सबेर
होता सच विजयी !
2.
दिल बेजार
रो-रो कर पूछता
क्यों बनी ये दुनिया ?
ऐसी दुनिया -
जहाँ नहीं अपना
रोज़ तोड़े सपना !
3.
कुंठित सोच
भयानक है रोग
सर्वनाश की जड़,
खोखले होते
मष्तिष्क के पुर्जे
बदलाव कठिन !
4.
नश्वर नहीं
फिर भी है मरती
टूट के बिखरती,
हमारी आत्मा
कहते धर्म-ज्ञानी -
आत्मा होती अमर !
5.
अपनी पीड़ा
सदैव लगी छोटी,
गैरों की पीड़ा बड़ी,
खुद को भूल
जी चाहता हर लूँ
सारे जग की पीड़ा !
6.
फड़फड़ाते
पर कटे पक्षी-से
ख्वाहिशों के सम्बन्ध,
उड़ना चाहे
पर उड़ न पाएँ
नियत अनुबंध !
7.
नहीं विकल्प
मंज़िल की डगर
मगर लें संकल्प
बहुत दूर
विपरीत सफर
न डिगेंगे कदम !
8.
एक पहेली
बूझ-बूझ के हारी
मगर अनजानी,
ये जिंदगानी
निरंतर चलती
जैसे बहती नदी !
9.
संभावनाएँ
सफलता की सीढ़ी
कई राह खोलतीं,
जीवित हों तो,
मरने मत देना
संभावना जीवन !
10.
पुनरुद्धार
अपनी सोच का हो
अपनी आत्मा का हो
तभी तो होगा
जीवन गतिमान
मंज़िल भी आसान !
- जेन्नी शबनम (अगस्त 7, 2012)
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15 टिप्पणियां:
CHHOTEE - CHHOTEE KAVITAAON MEIN
JEEWAN KAA SAARAA KAA SAARA DARSHAN
AAPNE SMET LIYAA HAI . BADHAAEE .
बहुत ही सार्थक सेदोका बने है,आभार.
बहुत ही लाजबाब सुंदर अभिव्यक्ति ,,,
होली की हार्दिक शुभकामनायें!
Recent post: रंगों के दोहे ,
वाकई सब पंक्तियाँ बेजोड़ और बड़ी ही सीख देती हुई ... संग्रहनीय!
सादर
मधुरेश
फड़फड़ाते
पर कटे पक्षी-से
ख्वाहिशों के सम्बन्ध,
उड़ना चाहे
पर उड़ न पाएँ
नियत अनुबंध !
एक से बढ़कर एक बेहतरीन दिल के करीब
नश्वर नहीं
फिर भी है मरती
टूट के बिखरती,
हमारी आत्मा
कहते धर्म-ज्ञानी -
आत्मा होती अमर !
अलग अंदाज़ से देखा है जीवन को हर क्षणिका में ... बेजोड हैं सभी ...
saarthak... aur garimay prastuti.. happy holi
बेहतरीन,हमेशा की तरह
Loved the first and sixth. Great read.
अपनी पीड़ा
सदैव लगी छोटी,
गैरों की पीड़ा बड़ी,
खुद को भूल
जी चाहता हर लूँ
सारे जग की पीड़ा !..nice
बहुत ही लाजबाब
bahut sunder rachana. jenny ji, holi ki subhkamnayen! main aapko follow kar rahan hun aap bhi mujhe follow karen mujhe kushi hogi
बेहतरीन शब्द संयोजन !
आभार !
जीवन-दर्शन की श्रेष्ठ कविताएं।
होली की हार्दिक शुभकामनाएं !
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति
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