साँसों की लय
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साँसें ज़िन्दगी
निरंतर चलती
ज़िंदा होने का
मानों फ़र्ज़ निभाती,
साँसों की लय
है हिचकोले खाती
बढ़ती जाती
अपनी ही रफ़्तार
थकती रही
पर रुकती नही
पर रुकती नही
चलती रही
कभी पूरजोरी से
कभी हौले से
कभी तूफ़ानी चाल
हो के बेहाल
कभी मध्यम चाल
सकपका के
कभी तूफ़ानी चाल
हो के बेहाल
कभी मध्यम चाल
सकपका के
कभी धुक-धुक सी
डर-डर के
मानो रस्म निभाती,
साँसें अक्सर
बेअदबी करती
इश्क़ भूल के
नफरत ख़ुद से
नसों में रोष
बेइन्तिहा भरती
इश्क़ भूल के
नफरत ख़ुद से
नसों में रोष
बेइन्तिहा भरती
लगती कभी
मानो ग़ैर जिन्दगी,
रहे तो रहे
परवाह न कोई
मिटे तो मिटे
मगर साँसें घटें
रस्म तो टूटे
मानो ग़ैर जिन्दगी,
रहे तो रहे
परवाह न कोई
मिटे तो मिटे
मगर साँसें घटें
रस्म तो टूटे
मानों होगी आज़ादी,
कुम्हलाई है
सपनों की ज़मीन
उगते नही
बारहमासी फूल
जो दे सुगंध
सजा जाए जीवन
महके साँसें
मानो बगिया मन,
घायल साँसें
भरती करवटें
डर-डर के
कँटीले बिछौने पे
जिन्दगी जैसे
लहूलुहान साँसें
छटपटाती
मानों ज़िन्दगी रोती
आहें भरती
रुदाली बन कर
रोज़ मर्सिया गाती ।
कुम्हलाई है
सपनों की ज़मीन
उगते नही
बारहमासी फूल
जो दे सुगंध
सजा जाए जीवन
महके साँसें
मानो बगिया मन,
घायल साँसें
भरती करवटें
डर-डर के
कँटीले बिछौने पे
जिन्दगी जैसे
लहूलुहान साँसें
छटपटाती
मानों ज़िन्दगी रोती
आहें भरती
रुदाली बन कर
रोज़ मर्सिया गाती ।
- जेन्नी शबनम (21. 11. 2013)
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4 टिप्पणियां:
nc choka mam :)
aapko link de rahi hu ------
http://drpratibhasowaty.blogspot.in/2013/11/6.html
साँसो का ही कमाल तो है ये जिन्दगी । साँसे हों या
रिश्ते आपकी कलम और भाव की लय से उभर आती हैं जीवन्त कविताएं। बहुत गहन सोच।
सुन्दर प्रस्तुति आदरेया-
भावुक मन के भाव लिख दिए हैं आपने ...
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