मंगलवार, 20 मई 2014

457. दुआ के बोल (दुआ पर 5 हाइकु) पुस्तक 56

दुआ के बोल

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1. 
फूले व फले
बगिया जीवन की  
जन-जन की। 

2.
दुआ के बोल 
ब्रह्माण्ड में गूँजते 
तभी लगते।  
  
3.
प्रेम जो फले 
अपनों के आशीष  
फूल-से झरें। 

4.
पाँव पखारे 
सुख-शान्ति का जल 
यही कामना। 

5.
फूल के शूल 
कहीं चुभ न जाए 
जी घबराए। 

- जेन्नी शबनम (13. 5. 2014)
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10 टिप्‍पणियां:

Dr. sandhya tiwari ने कहा…

bahut sundar...........

Digvijay Agrawal ने कहा…

आपकी लिखी रचना बुधवार 21 मई 2014 को लिंक की जाएगी...............
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आपकी इस' प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (21-05-2014) को "रविकर का प्रणाम" (चर्चा मंच 1619) पर भी होगी!
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

Anupama Tripathi ने कहा…

सुंदर कोमल भाव ...बहुत सुंदर हाइकु जेन्नी जी ...!!

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

मन को छूते हाइकू

कौशल लाल ने कहा…

सुन्दर....

सदा ने कहा…

हमेशा की तरह लाजवाब

..बहुत ही उम्दा

Asha Joglekar ने कहा…

शूल भी तो हैं उसी बहार का हिस्सा जिससे खिल उठेगा चमन।

Jyotsana pradeep ने कहा…

bohot hi khoob jenni ji .....badhai aapko :)

Dr.R.Ramkumar ने कहा…

पढ़े आपके
मनोयोग से गढ़े
सभी हाइकू।

बड़ा सही है
आपका ये चयन
लिखें हाइकू।

आप आई थीं
बधाइयां लेकर
ऋणी आपका।