दुआ के बोल
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1.
फूले व फले
बगिया जीवन की
जन-जन की।
2.
दुआ के बोल
ब्रह्माण्ड में गूँजते
तभी लगते।
3.
प्रेम जो फले
अपनों के आशीष
फूल-से झरें।
4.
पाँव पखारे
सुख-शान्ति का जल
यही कामना।
5.
फूल के शूल
कहीं चुभ न जाए
जी घबराए।
- जेन्नी शबनम (13. 5. 2014)
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10 टिप्पणियां:
bahut sundar...........
आपकी लिखी रचना बुधवार 21 मई 2014 को लिंक की जाएगी...............
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आपकी इस' प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (21-05-2014) को "रविकर का प्रणाम" (चर्चा मंच 1619) पर भी होगी!
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
सुंदर कोमल भाव ...बहुत सुंदर हाइकु जेन्नी जी ...!!
मन को छूते हाइकू
सुन्दर....
हमेशा की तरह लाजवाब
..बहुत ही उम्दा
शूल भी तो हैं उसी बहार का हिस्सा जिससे खिल उठेगा चमन।
bohot hi khoob jenni ji .....badhai aapko :)
पढ़े आपके
मनोयोग से गढ़े
सभी हाइकू।
बड़ा सही है
आपका ये चयन
लिखें हाइकू।
आप आई थीं
बधाइयां लेकर
ऋणी आपका।
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