शनिवार, 1 जुलाई 2017

550. ज़िद (क्षणिका)

ज़िद

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एक मासूम सी ज़िद है-  
सूरज तुम छुप जाओ  
चाँद तुम जागते रहना  
मेरे सपनों को आज  
ज़मीं पर है उतरना। 

- जेन्नी शबनम (1. 7. 2017)
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6 टिप्‍पणियां:

Jyoti khare ने कहा…

वाह
बहुत सुंदर

शुभकामनाएं

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

ख्वाब तो कांच से भी नाज़ुक हैं
टूटने से इन्हें बचाना है!!

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बड़ी मासूम सी ज़िद

Kailash Sharma ने कहा…

वाह...बहुत ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति...

Ravindra Singh Yadav ने कहा…

इस ज़िद की मासूमियत के क्या कहने....वाह !

How do we know ने कहा…

:) kitni pyaari si kavita hai!