फ़रिश्ता
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सुनती हूँ कि कोई फ़रिश्ता है
जो सब का हाल जानता है
पर मेरा? मुझे नहीं जानता वह
पर तुम मुझे जानते हो जीने का हौसला देते हो
जाने किस जन्म में तुम मेरे कौन थे
जो अब मेरे फ़रिश्ता हो।
- जेन्नी शबनम (19. 1. 2019)
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6 टिप्पणियां:
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (21-01-2019) को "पहन पीत परिधान" (चर्चा अंक-3223) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 20/01/2019 की बुलेटिन, " भारत के 'जेम्स बॉन्ड' को ब्लॉग बुलेटिन का सलाम“ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
बेहतरीन...
एक सच्चा साथी ही हमारा फरिश्ता होता है.
ठीक हो न जाएँ
फ़रिश्ते होते हैं तभी शायद ये कल्पनाएँ होती हैं ... चाहतें होती हैं ...
सुन्दर रचना।
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