गुरुवार, 21 मार्च 2019

609. रंगों की होली (10 हाइकु) पुस्तक - 105, 106

रंगों की होली    

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1.   
रंगो की होली   
गाँठ मन की खोली   
प्रीत बरसी।   

2.   
पावन होली   
मन है सतरंगी   
सूरत भोली।   

3.   
रंगों की झोली   
आसमान ने फेंकी   
धरती रँगी।   

4.   
हवा में घुले   
रंग-भरे जज़्बात   
होली के साथ।   

5.   
होली रंग में   
दर्द के रंग घुले   
मन निश्छल।   

6.   
होली पहुँची   
छोटे पग धरके   
इस बसंत।   

7.   
पाहुन होली   
ज़रा देर ठहरी   
चलती बनी।   

8.   
रंग गुलाल   
सर-सर गिरते   
खेले कबड्डी।   

9.   
न पी, न पाई    
ये कैसी होली आई   
फीकी मिठाई।   

10.   
रंगों का मेला   
नहीं कोई पहरा   
गुम चेहरा।   

- जेन्नी शबनम (20. 3. 2019)   
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7 टिप्‍पणियां:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

न पी, न पाई
ये कैसी होली आई
फीकी मिठाई।

वाह।

होली पर शुभकामनाएं।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (23-03-2019) को "गीत खुशी के गाते हैं" (चर्चा अंक-3283) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

yashoda Agrawal ने कहा…

आपकी लिखी रचना "मुखरित मौन में" आज शनिवार 23 मार्च 2019 को साझा की गई है......... मुखरित मौन पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

मन की वीणा ने कहा…

बहुत प्यारे हाइकु जेन्नी जी मौसम के अनुरूप।
अप्रतिम।

मन की वीणा ने कहा…

वाह बहुत प्यारे हाइकु जेन्नी जी मौसम के अनुरूप।
अप्रतिम।

रवीन्द्र भारद्वाज ने कहा…

बहुत खूब.....
बहुत ही सुंदर हाइकू आदरणीया

Udan Tashtari ने कहा…

वाह, बहुत खूब