रविवार, 11 सितंबर 2022

748. हे गंगा माई (ताँका) (बज्जिका भाषा)

हे गंगा माई 
(ताँका)
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1. 
हे गंगा माई   
केहू नहीं हमर   
कौना से कहू   
सुख-दुःख अपन   
कैसे कटे सफर।   

2. 
हे गंगा माई   
मन बड़ा बिकल   
देख के छल   
छुपा ल दुनिया से   
कोख में अपन।   

3. 
हे गंगा माई   
हमर पुरखा के   
तू समा लेलू   
समा ल हमरो के   
तोरे जौरे बहब।   

4. 
तू ही ले गेलू   
हमर बाबू-माई   
भेंट करा द   
निहोरा करई छी   
दया कर हे माई।   

5. 
पाप धोअ लू   
पुन सबके दे लू   
देख दुनिया   
गन्दा कर देलई   
कइसन हो गेलू।   

-  जेन्नी शबनम (24. 8. 2022)
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4 टिप्‍पणियां:

विश्वमोहन ने कहा…

वज्जिका की सुगंध पाकर बड़ा बढ़िया लगा।

अनीता सैनी ने कहा…

जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार(१२-०९ -२०२२ ) को 'अम्माँ का नेह '(चर्चा अंक -४५५०) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर

Abhilasha ने कहा…

बहुत ही सुन्दर रचनाएं

रंजू भाटिया ने कहा…

अहा! बहुत पसंद आई यह