दफ़ना दो यारों
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चंदा की चाँदनी से रौशनी बिखरा गया कोई
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चंदा की चाँदनी से रौशनी बिखरा गया कोई
हसीन हुई है रात, सिर्फ़ इतना देखो यारों,
कौन बिखरा गया रंगीनी, ये न पूछो कोई
कौन बिखरा गया रंगीनी, ये न पूछो कोई
रौशन हुई है रात, बस बहक जाओ यारों।
सूरज की तपिश से, अगन लगा गया कोई
सूरज की तपिश से, अगन लगा गया कोई
दहक रही है रात, सिर्फ़ इतना देखो यारों,
कौन जला गया दामन, ये न पूछो कोई
कौन जला गया दामन, ये न पूछो कोई
जल रही है रात, बस जश्न मनाओ यारों।
आसमान की शून्यता से, तक़दीर भर गया कोई
आसमान की शून्यता से, तक़दीर भर गया कोई
ख़ामोश हुई है रात, सिर्फ़ इतना देखो यारों,
कौन दे गया मातम, ये न पूछो कोई
कौन दे गया मातम, ये न पूछो कोई
तन्हा हुई है रात, बस ज़रा रो लो यारों।
अमावास की कालिमा से, अँधियारा फैला गया कोई
अमावास की कालिमा से, अँधियारा फैला गया कोई
डर गई है 'शब', सिर्फ़ इतना देखो यारों,
कौन कर गया है अँधेरा, ये न पूछो कोई
कौन कर गया है अँधेरा, ये न पूछो कोई
मर गई है रात, बस उसे दफ़ना दो यारों।
- जेन्नी शबनम (28. 5. 2009)
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- जेन्नी शबनम (28. 5. 2009)
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2 टिप्पणियां:
बहुत ही प्रेरक और उम्दा रचना . आभार.
Good one..
Smiles :)
Prashant
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