मंगलवार, 7 दिसंबर 2010

192. चहारदीवारी का चोर दरवाज़ा (पुस्तक- नवधा, झाँकती खिड़की)

चहारदीवारी का चोर दरवाज़ा 

***

ज़िन्दगी और सपनों के चारों तरफ़ 

ऊँची चहारदीवारी 

जन्म लेते ही तोहफ़े में मिलती है

तमाम उम्र उसी में क़ैद रहना

शायद मुनासिब है और ज़रूरत भी

पिता-भाई और पति-पुत्र का कड़ा पहरा

फिर भी असुरक्षित अपने ही क़िले में।


चहारदीवारी में एक मज़बूत दरवाज़ा होता है

जिससे सभी अपने एवं रिश्ते 

ससम्मान और साधिकार प्रवेश पाते हैं

लेकिन उनमें कइयों की आँखें 

सबके सामने निर्वस्त्र कर जाती हैं

कुछ को मौक़ा मिला और ज़रा-सा छूकर तृप्त

कइयों की आँखें लपलपातीं हैं और भेड़िए-से टूट पड़ते हैं

ख़ुद को शर्मसार होने का भय

फिर स्वतः क़ैद हो जाती है ज़िन्दगी।


उन चहारदीवारी में एक चोर दरवाज़ा भी होता है

जहाँ से मन का राही प्रवेश पाता है

कई बार वही पहला साथी 

सबसे बड़ा शिकारी निकलता है

प्रेम की आड़ में भूख मिटा भाग खड़ा होता है

ठगे जाने का दर्द छुपाए कब तक तनहा जिए

वक़्त का मरहम दर्द को ज़रा-सा कम करता है

फिर कोई राही प्रवेश करता है

क़दम-क़दम फूँककर चलना सीख जाने पर भी

नया आया हमदर्द

बासी गोश्त कह छोड़कर चला जाता है।


यक़ीन टूटता है, सपने फिर सँवरने लगते हैं

चोर दरवाज़े पर उम्मीद भरी नज़र टिकी होती है

फिर कोई आता है और रिश्तों में बाँध

तमाम उम्र को साथ ले जाता है

नहीं मालूम क्या बनेगी

महज़ एक साधन 

जो जिस्म, रिश्ता और रिवाज का फ़र्ज़ निभाएगी

या फिर चोर दरवाज़े पर टकटकी लगाए

अपने सपनों को उसी राह वापस करती रहेगी

या कभी कोई और प्रवेश कर जाए

तो उम्मीद से ताकती

नहीं मालूम वह गोश्त रह जाएगी या जिस्म

फिर एक और दर्द

चोर दरवाज़ा ज़ोर से सदा के लिए बन्द।


चहारदीवारी के भीतर भी

जिस्म से ज़्यादा और कुछ नहीं

चोर दरवाज़े से भी कोई रूह तक नहीं पहुँचता है

आख़िर क्यों?


-जेन्नी शबनम (नवम्बर 1990)
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4 टिप्‍पणियां:

vandana gupta ने कहा…

चहारदीवारी के भीतर भी
जिस्म से ज्यादा
और कुछ नहीं,
चोर दरवाज़े से भी
कोई रूह तक नहीं पहुँचता,
क्यों आख़िर ?

बस यही खलिश रहती है…………जो जिस्म के पार पहुंच जाये तो ये 'क्यों' न मिट जाये।

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

Jenny Di!!! stri man ya uske dard ko itne pyare dhang se aapne kaha aankhe chhalchhala gayeee...hats off!!

संजय भास्‍कर ने कहा…

यकीं टूटता पर
सपने फिर सँवरने लगते,
चोर दरवाज़ा पर
उम्मीद भरी नज़र टिकी होती,
फिर कोई आता और रिश्तों में बाँध
तमाम उम्र को साथ ले जाता,

.........सुन्दर शब्द संयोजन।
किसकी बात करें-आपकी प्रस्‍तुति की या आपकी रचनाओं की। सब ही तो आनन्‍ददायक हैं।

Unknown ने कहा…

Dil ko chhoo lene wali aapki rachnayen hain.. "Chahardiwari ka chor darwaja" bahut hi pyaara hai.. ek stree man ko bahut achche dhang se aapne vyakt kiya hai.. You are great..