अजनबियों-सा सलाम
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मुलाक़ात भी होगी
नज़रों से एहतराम भी होगा
दो अजनबियों-सा कोई सलाम तो होगा।
- जेन्नी शबनम (6. 4. 2011)
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मुलाक़ात भी होगी
नज़रों से एहतराम भी होगा
दो अजनबियों-सा कोई सलाम तो होगा।
- जेन्नी शबनम (6. 4. 2011)
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8 टिप्पणियां:
salaam zaroor hoga......bahut achchi lagi.
मुलाक़ात भी होगी
नज़रों से एहतराम भी होगा,
दो अजनबियों सा कोई सलाम तो होगा!
-इन तीन पंक्तियों में आपने सारे अभिवादन समेट लिये हैं। जहाँ नितान्त अपनापन हो , वहाँ सारे अभिवादन और औपचारिकताएँ साथ छोड़ देती हैं । जो रह जाता है , वह सिर्फ़ एक तरल संवेदना , जिसे हृदय महसूस करता है , भाषा मूक होकर रह जाती है । बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति !
जरुर होगा...
लूट जायेगे मिट जायेगे ...दिल मिलने का सब खेल , दीवाने फिर भी चाहेगे ...
बहुत उम्दा शेर लिखा है आपने।
zarur zarur hoga
MAM BAHUT ACHCHHA SHER HAI. SALAM.
एक अजनबी का सलाम आपके लिए...।
प्रियंका
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