ज़िद्दी हूँ
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जाने किस सफ़र पर ज़िन्दगी चल पड़ी है
न मक़सद का पता न मंज़िल का ठिकाना है
अब तो रास्ते भी याद नहीं
किधर से आई थी किधर जाना है
बहुत दूर निकल गए तुम भी
इतना कि मेरी पुकार भी नहीं पहुँचती।
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जाने किस सफ़र पर ज़िन्दगी चल पड़ी है
न मक़सद का पता न मंज़िल का ठिकाना है
अब तो रास्ते भी याद नहीं
किधर से आई थी किधर जाना है
बहुत दूर निकल गए तुम भी
इतना कि मेरी पुकार भी नहीं पहुँचती।
इस सच से वाक़िफ़ हूँ और समझती भी हूँ
साथ चलने के लिए तुम साथ चले ही कब थे
मान रखा मेरी ज़िद का तुमने
और कुछ दूर चल दिए थे साथ मेरे।
क्या मानूँ?
तुम्हारा एहसान या फिर
महज़ मेरे लिए ज़रा-सी पीड़ा
नहीं-नहीं, कुछ नहीं
ऐसा कुछ न समझना
तुम्हारा एहसान मुझे दर्द देता है
प्रेम के बिना सफ़र नहीं गुज़रता है।
तुम भी जानते हो और मैं भी
मेरे रास्ते तुमसे होकर ही गुज़रेंगे
भले रास्ते न मिले
या तुम अपना रास्ता बदल लो
पर मेरे इंतज़ार की इंतिहा देखना
मेरी ज़िद भी और मेरा जुनून भी।
इंतज़ार रहेगा
एक बार फिर से
पूरे होशो हवास में तुम साथ चलो
सिर्फ़ मेरे साथ चलो।
साथ चलने के लिए तुम साथ चले ही कब थे
मान रखा मेरी ज़िद का तुमने
और कुछ दूर चल दिए थे साथ मेरे।
क्या मानूँ?
तुम्हारा एहसान या फिर
महज़ मेरे लिए ज़रा-सी पीड़ा
नहीं-नहीं, कुछ नहीं
ऐसा कुछ न समझना
तुम्हारा एहसान मुझे दर्द देता है
प्रेम के बिना सफ़र नहीं गुज़रता है।
तुम भी जानते हो और मैं भी
मेरे रास्ते तुमसे होकर ही गुज़रेंगे
भले रास्ते न मिले
या तुम अपना रास्ता बदल लो
पर मेरे इंतज़ार की इंतिहा देखना
मेरी ज़िद भी और मेरा जुनून भी।
इंतज़ार रहेगा
एक बार फिर से
पूरे होशो हवास में तुम साथ चलो
सिर्फ़ मेरे साथ चलो।
जानती हूँ
वक़्त के साथ मैं भी अतीत हो जाऊँगी
या फिर वह
जिसे याद करना कोई मज़बूरी हो
धूल जमी तो होगी
वक़्त के साथ मैं भी अतीत हो जाऊँगी
या फिर वह
जिसे याद करना कोई मज़बूरी हो
धूल जमी तो होगी
पर उन्हीं नज़रों से तुमको देखती रहूँगी
जिससे बचने के लिए
तुम्हारे सारे प्रयास अकसर विफल हो जाते रहे हैं।
जिससे बचने के लिए
तुम्हारे सारे प्रयास अकसर विफल हो जाते रहे हैं।
उस एक पल में
जाने कितने सवाल उठेंगे तुममें
जब अतीत की यादें
तुम्हें कटघरे में खड़ा कर देंगी
कुसूर पूछेगी मेरा
और तुम बेशब्द ख़ुद से ही उलझते हुए
सूनी निगाहों से सोचोगे -
काश! वो वक़्त वापस आ जाता
एक बार फिर से सफ़र में मेरे साथ होती तुम
और हम एक ही सफ़र पर चलते
मंज़िल भी एक और रास्ते भी एक।
जानते हो न
बीता वक़्त वापस नहीं आता
मुझे नहीं मालूम मेरी वापसी होगी या नहीं
या तुमसे कभी मिलूँगी या नहीं
पर इतना जानती हूँ
मैं बहुत ज़िद्दी हूँ!
- जेन्नी शबनम (13. 4. 2011)
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जाने कितने सवाल उठेंगे तुममें
जब अतीत की यादें
तुम्हें कटघरे में खड़ा कर देंगी
कुसूर पूछेगी मेरा
और तुम बेशब्द ख़ुद से ही उलझते हुए
सूनी निगाहों से सोचोगे -
काश! वो वक़्त वापस आ जाता
एक बार फिर से सफ़र में मेरे साथ होती तुम
और हम एक ही सफ़र पर चलते
मंज़िल भी एक और रास्ते भी एक।
जानते हो न
बीता वक़्त वापस नहीं आता
मुझे नहीं मालूम मेरी वापसी होगी या नहीं
या तुमसे कभी मिलूँगी या नहीं
पर इतना जानती हूँ
मैं बहुत ज़िद्दी हूँ!
- जेन्नी शबनम (13. 4. 2011)
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13 टिप्पणियां:
कुछ खास चीज़ें पाने के लिए ज़िद भी ज़रूरी है।
Behad sashakt rachana hai.....jab hamsafar ka bharam tootta hai to badee takleef hotee hai.
"तुम्हारा एहसान मुझे दर्द देता है,
प्रेम के बिना सफ़र नहीं गुज़रता
तुम भी जानते हो और
मैं भी|
मेरे रास्ते तुमसे होकर हीं गुजरेंगे
इतना तो मैं जानती हूँ,
भले रास्ते न मिले
या तुम अपना रास्ता बदल लो,
पर मेरे इंतज़ार की इन्तेहाँ
देखना" पूरी कविता में गज़ब की रवानगी है ; पर ये पंक्तियाँ तो लाजवाब हैं । प्रेम और समर्पण की इससे अच्छी कविता भला क्या हो सकती है ! खुदा करे आपकी ज़िद्द पूरी हो । ऐसी परिपक्व , ह्ड़रिदय को मथ द्ने वाली कविता के लिए आपको बहुत-बहुत साधुवाद !
क्या मानूँ?
तुम्हारा एहसान या फिर
महज़ मेरे लिए ज़रा सी पीड़ा!
kuch bhi nahi ... bas apni us pal ki soch
"काश!
वो वक़्त वापस आ जाता"
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"बीता वक़्त वापस नहीं आता
मुझे नहीं मालूम मेरी वापसी होगी या नहीं
या तुमसे कभी मिलूंगी की नहीं"
दोनों तरह के भावनाएं मन में उठाती हैं.. !
जब आप किसी को बेइन्तेहा चाहें..तब !!
लेकिन अफ़सोस होता है जब उसी के लिए
इस तरह की भावनाएँ मन में आने लगें...!!
ज़िंदगी कभी-कभी ऐसे मोड़ पर भी खड़ा कर देती है इंसान को !
bahut achcha likhi hain.....
बहुत खूब जिद है…………अति सुन्दर्।
"मैं बहुत जिद्दी हूँ
.....अति सुन्दर.......
ऐसा समय भी आता है....
होना भी चाहिए
वाह!
इस जिद का क्या कहना!
बहुत सशक्त रचना!
bahut sawednaao se joojhti rachna.
TIME HAR EK KO PICHE CHHOD DETA HAI. MAM BAHUT ACHCHHI KAVITA HAI. JAI BHARAT
किसी बड़े बदलाव या फिर किसी ख़्वाब की तामीर के लिए ज़िद्दी होना ज़रूरी है...। इस खूबसूरत सी ज़िद भरी कविता के लिए बधाई...।
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