शनिवार, 23 अप्रैल 2011

233. हथेली ख़ाली है

हथेली ख़ाली है

***

मेरी मुट्ठी से आज फिर कुछ गिर पड़ा 
लगता है शायद यह अन्तिम बार है   
अब कुछ नहीं बचा है गिरने को 
मेरी हथेली ख़ाली पड़ चुकी है

अचरज नहीं पर कसक है 
कहीं गहरे में काँटों की चुभन है  
क़तरा-क़तरा वक़्त है, जो गिर पड़ा 
या कोई अल्फ़ाज़, जो दबे थे मेरे सीने में 
और मैंने जतन से छुपा लिए थे मुट्ठी में 
कभी तुम दिखो, तो तुमको सौंप दूँ  

पर अब यह मुमकिन नहीं 
वक़्त के बदलाव ने बहुत कुछ बदल दिया है 
अच्छा ही हुआ, जो मेरी हथेली ख़ाली हो चुकी है 
अब खोने को कुछ नहीं रहा  

- जेन्नी शबनम (18.4.2011)
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13 टिप्‍पणियां:

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

गहरे एहसासों की सुन्दर अभिव्यक्ति...

सहज साहित्य ने कहा…

बहुत गहन पीड़ा को अभिव्यक्त करने वाली कविता है ।सब कुछ होने पर भी हथेली खाली नहीं होती । कथेली जब खाली होती है तो उसे और खूबसूरत बनाने के लिए और भी नायाब मोती दे देता है । आपके पास , आपकी हथेली में वे मोती आ ही जाएँगे, क्योंकि आपके पास सागर -सा गहन चिन्तन है-मोतियों से भरा । अस्वस्थता के बावज़ूद आपकी कविता पढ़कर सुखद अहसास हुआ । मेरी तरफ़ से बहुत शुभकामनाएँ। आराम ज़रूर करते रहिएगा !

आपका अख्तर खान अकेला ने कहा…

bhtrin ehsaas . akhtar khan akela kota rajsthan

मनोज कुमार ने कहा…

सुंदर भावाभिव्यक्ति।

Er. सत्यम शिवम ने कहा…

बहुत ही एहसासपूर्ण..बहुत सुंदर।

udaya veer singh ने कहा…

khona hi pane ka vajud hota hai /kisi vyktitv ka prabodhan uska nihitarth hota hai.saumy srijan / sadhuvad ji.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!

संगीता पुरी ने कहा…

अच्‍छी भावाभिवयक्ति !!

Sadhana Vaid ने कहा…

और अच्छा हीं हुआ
जो मेरी हथेली खाली हो चुकी
अब खोने को कुछ न रहा|

बहुत नाज़ुक से खयालात हैं आपकी इस रचना में ! रिक्तता में भी कितना सुकून भरा अहसास है कि अब खोने के लिये कुछ भी बाकी नहीं रहा ! मन को गहराई तक छू गयी आपकी रचना ! बधाई स्वीकार करें !

निवेदिता श्रीवास्तव ने कहा…

touching emotions ......

विभूति" ने कहा…

gahre ehsaaso se bhari rachna...

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

ye daur hi acchha hai jahan koi ummeed hi nahi vaha nirashaye bhi fir dukhi nahi karengi. maarmik rachna.

***Punam*** ने कहा…

"और लगता कि
शायद अंतिम बार है ये
अब कुछ नहीं बचा है गिरने को
मेरी हथेली अब खाली पड़ चुकी है|"

सही कहा आपने..
हथेली खाली पद चुकी है..
नए सिरे से भरें.. नए एकसास के साथ..
जो नितांत आपने हों..!!
खूबसूरत...