रविवार, 7 अगस्त 2011

270. तुम मेरे दोस्त जो हो

तुम मेरे दोस्त जो हो

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मेरे लिए एक काम कर दोगे
''ज़हर ला दोगे
बहुत थक गई हूँ
ज़िन्दगी से ऊब गई हूँ'',
जानती हूँ, तुम ऐसा नहीं करोगे
कभी ज़हर नहीं ला दोगे
मेरी मृत्यु सह नहीं सकते
फिर भी कह बैठती हूँ तुमसे 
तुम भी जानते हो
मुझमें मरने का साहस नहीं
न जीने की चाहत बची है
पर हर बार जब-जब हारती हूँ
तुमसे ऐसा ही कहती हूँ
तुम्हारे काँधे पे मेरा माथा
सहारा और भरोसा तुम ही तो देते हो
मेरे हर सवाल का जवाब भी
तुम ही देते हो
बिना रोके बिना टोके
शायद तुम ही हो
जो मेरे गुस्से को सह लेते हो
मेरे आँसुओं को बदल देते हो
कई बार सोचती हूँ
तुम्हारी ग़लती नहीं
दुनिया से नाराज़ हूँ
फिर क्यों ख़फ़ा होती हूँ तुम पर
क्यों खीझ निकालती हूँ तुम पर
तुम चुपचाप सब सुनते हो
मुझे राहत देते हो 
कई बार मन होता है
तुमसे अपना नाता तोड़ लूँ
अपने ज़ख़्म ख़ुद में समेट रखूँ
पर न जाने क्यों
किस्त-किस्त में सब कह जाती हूँ तुमसे 
शायद यह भी कोई नाता है
जन्म का तो नहीं पर जन्मों का रिश्ता है
इसलिए बेख़ौफ़
कभी ज़हर माँगती 
कभी नज़र माँगती
कभी रूठ जाती हूँ
महज़ इस बात के लिए कि
मेरे लिए मृत्यु क्यों नहीं ख़रीद लाये
तुम बहुत कंजूस हो
जानती हूँ
तुम मेरे दोस्त जो हो
मेरे लिए मौत नहीं
सदैव ज़िन्दगी लाते हो

- जेन्नी शबनम (7. 8. 2011)
(मित्रता दिवस पर)
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16 टिप्‍पणियां:

nilesh mathur ने कहा…

मित्रता दिवस पर बेहतरीन रचना।

prritiy----sneh ने कहा…

bahut hi pyari rachna.
Wish for you-- all true friends be in your life and one critic who doesn't harm you but shows you your true face time to time.

Shubhkamnayen

SAJAN.AAWARA ने कहा…

Bhavpurn or gahri rachna.....
Mitrta divas ki bdhai...
Jai hind jai bharat

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत खूबसूरत अंदाज़ में पेश की गई है पोस्ट......मित्रता दिवस की शुभकामनायें।

Suresh Kumar ने कहा…

ise kahate hai "Gahan Mitrata"..bahut khoob..aabhar

Rachana ने कहा…

sunder bhavon ki kavita
mitrata divas ki bahut bahut shubhkamnaye
rachana

आपका अख्तर खान अकेला ने कहा…

jenny bahn kyaa baat hai bhtrin rachnaa lekin aajkal koi kisi ke liyen zahar laaye ya na laaye srkar ki nitiyaa to sabhi khane pine ki chizon me zhar baant rahi hain ..akhtr khan akela kota rajsthan

विभूति" ने कहा…

bhaut hi sundar rachna... happy friendshipday....

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
शुभकामनाएँ!

Shabad shabad ने कहा…

भावपूर्ण रचना
महज़ इस बात केलिए कि
मेरे लिए मृत्यु क्यों नहीं खरीद लाये
तुम बहुत कंजूस हो|
दिल को छू गयी आपकी ये रचना..
मित्रता दिवस की शुभकामनायें।
आभार !

Dev ने कहा…

लाजवाब प्रस्तुति ......बहुत खूब |

सहज साहित्य ने कहा…

'तुम मेरे दोस्त जो हो'-कविता की गहराई दिल के तार झंकृत कर देती है । ऐसे ही कंजूस दोस्त सही हैं-किश्त किश्त में सब कह जाती तुमसे|
शायद ये भी कोई नाता है
जन्म का तो नहीं
पर जन्मों का रिश्ता है,
इसलिए बेख़ौफ़
कभी ज़हर मांगती
कभी नज़र मांगती,
कभी रूठ जाती हूँ
-यह जन्मों का रिश्ता ही है जो दूर बैठे को नज़दीक ले आता है और कुछ नज़दिक होकर भी दूर बने रहते हैं । मैती दिवस पर एक अच्छी कविता पढ़ने का अवसर देने के लिए हार्दिक बधाई !

Unknown ने कहा…

बहुत खूबसूरत रचना, जन्मों का रिश्ता है,

वाणी गीत ने कहा…

दोस्त हमेशा जिंदगी ही मानते हैं ...
सही !

Dr Varsha Singh ने कहा…

बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना !
हार्दिक शुभकामनायें !

चंदन कुमार मिश्र ने कहा…

ये सब दिवस या डे मुझे फालतू लगते हैं लेकिन यह कविता तो अच्छी लगी।