अंतिम परिणति
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बाबू! तुम दूर जो गए
सपनों से भी रूठ गए
कर जोड़ गुहार मेरी
तनिक न ली सुध मेरी
लोर बहते नहीं अकारण
जानते हो तुम भी कारण
हर घड़ी है अंतिम पल
जाने कब रुके समय-क्रम।
बाबू! तुम क्यों नही समझते
पीर मेरी जो मन दुखाते
तुम्हारे जाने यही उचित
पर मेरा मन करता भ्रमित
एक बार तुम आ जाना
सपने मेरे तुम ले आना
तुम्हारी प्रीत मन में बसी
भले जाओ तुम रहो कहीं।
बाबू! देखो जीवन मेरा
छवि मेरी छाया तुम्हारा
संग-संग भले हैं दिखते
छाया को भला कैसे छूते
दर्पण देख ये भान होता
नहीं विशेष जो तुम्हें खींचता
बिछोह-रुदन बन गई नियति
प्रेम-कथा की अंतिम परिणति!
- जेन्नी शबनम (16. 4. 2012)
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22 टिप्पणियां:
बिछोह-रुदन बन गई नियति
प्रेम-कथा की अंतिम परिणति !
गहन प्रेम की पीड़ा ...एक टीस दे रही है ....!!
बहुत सुंदर रचना ....
शुभकामनायें ....
रुदन बन गई नियति
प्रेम-कथा की अंतिम परिणति !
बहुत बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर अभिव्यक्ति,बेहतरीन रचना,...
MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: कवि,...
वाह...............
प्रेमपगी अभिव्यक्ति.....
बहुत सुंदर...
बिछोह-रुदन बन गई नियति
प्रेम-कथा की अंतिम परिणति ..kavita ka sundar smapan
गहरे उतरते भाव...... बहुत सुंदर
बाबू तुम दूर जो गए
सपनों से भी रूठ गए
कर जोड़ गुहार मेरी
तनिक न ली सुध मेरी
लोर बहते नहीं अकारण
जानते हो तुम भी कारण
हर घड़ी है अंतिम पल
जाने कब रुके समय-चक्र
बाबू तुम क्यों नही समझते
पीर मेरी जो मन दुखाते
तुम्हारे जाने यही उचित
पर मेरा मन करता भ्रमित
एक बार तुम आ जाना
सपने मेरे तुम ले आना
तुम्हारी प्रीत मन में बसी
भले जाओ तुम रहो कहीं
डॉ० जेन्नी शबनम जी बहुत ही उम्दा कविता बधाई
जोरदार ।
बढ़िया प्रस्तुति ।
बधाई ।।
बाबू देखो जीवन मेरा
छवि मेरी छाया तुम्हारा
संग-संग भले हैं दीखते
छाया को भला कैसे छूते
दर्पण देख ये भान होता
नहीं विशेष जो तुम्हें खींचता
बिछोह-रुदन बन गई नियति
प्रेम-कथा की अंतिम परिणति !
बेहतरीन भाव लिए अति सुन्दर रचना
बहुत बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर रचना,...
MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: कवि,...
बहुत ही मर्म स्पर्शी।
सादर
कल 20/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
सुन्दर अभिव्यक्ति
बहुत बढ़िया रचना।
sunder.....bhawpoorn.
बिछोह-रुदन बन गई नियति
प्रेम-कथा की अंतिम परिणति !
मार्मिक !
गहन पीड़ा .....दर्द की स्याही से लिखी आपकी कविता कई प्रश्न उठाती है...
प्रेम में डूबी रचना
विरह का सजीव चित्रण ...
विरह का सजीव चित्रण ...
Sunder abhivyakti ... sunder bhav k liye aapko dhero badhai ...
बाबू तुम क्यों नही समझते
पीर मेरी जो मन दुखाते very nice.....
बिछोह-रुदन बन गई नियति
प्रेम-कथा की अंतिम परिणति !!
sundar abhivyakti!
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