चाँद का रथ
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1.
थी विशेषता
जाने क्या-क्या मुझमें,
हूँ अब व्यर्थ।
2.
सीले-सीले-से
गर हों अजनबी,
होते हैं रिश्ते।
3.
मन का द्वन्द्व
भाँपना है कठिन
किसी और का।
4.
हुई बावली
सपनों में गुजरा
चाँद का रथ।
5.
जन्म के रिश्ते
सदा नहीं टिकते
जग की रीत।
6.
अनगढ़-से
कई-कई किस्से हैं
साँसों के संग।
7.
हाइकु ऐसे
चंद लफ़्ज़ों में पूर्ण
ज़िन्दगी जैसे।
- जेन्नी शबनम (18. 2. 2013)
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17 टिप्पणियां:
सुन्दर हाइकु
बहुत उम्दा,,,
Recent post: रंग,
हकीकत और फलसफा ए ज़िन्दगी लिए हैं कई हाइकु
3.
मन का द्वन्द
भाँपना है कठिन
किसी और का !......द्वंद्व
Bahut sundar abhivektti. Mere blog santam sukhaya par aapakaa swagat hai. Apni beak tippani likhe Dhanywaad
जीवन का अर्थ समझाते हायकू . बधाई
सुन्दर प्रस्तुति-
आभार-
har hayakoo apne arth ko sarthak karta hua...behatreen..
वहा बहुत खूब बेहतरीन
आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
तुम मुझ पर ऐतबार करो ।
वाह! बहुत सार्थक गागर में सागर जैसे..
नीरज 'नीर'
KAVYA SUDHA (काव्य सुधा)
Gahre shbd....
बहुत ही सुन्दर अद्भुत निःशब्द करती अभिव्यक्ति करती
निःशब्द करते हाइकू . जीवन को शब्द देते
जन्म के रिश्ते
सदा नहीं टिकते
जग की रीत !
जवाब नहीं.... !
नाम क्षणिका हैं लेकिन प्रभाव दीर्घकालिक है।
लाजवाब रचना...बहुत बहुत बधाई...
लाजवाब रचना...बहुत बहुत बधाई...
हाइकु ऐसे
चंद लफ़्ज़ों में पूर्ण
ज़िंदगी जैसे !.....सच कहा आपने, दो पल के जीवन से एक उम्र चुरानी है....
बहुत सुन्दर हाइकु....बधाई एवं शुभकामनाएँ!!
जन्म के रिश्ते
सदा नहीं टिकते
जग की रीत ! sabhi hayku achchhe lage
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