गुरुवार, 1 मई 2014

454. शासक (पुस्तक -78)

शासक

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इतनी क्रूरता, कैसे उपजती है तुममें?
कैसे रच देते हो, इतनी आसानी से चक्रव्यूह 
जहाँ तिलमिलाती हैं, विवशताएँ
और गूँजता है अट्टहास
जीत क्या यही है?
किसी को विवश कर
अधीनता स्थापित करना, अपना वर्चस्व दिखाना  
किसी को भय दिखाकर
प्रताड़ित करना, आधिपत्य जताना
और यह साबित करना कि 
तुम्हें जो मिला, तुम्हारी नियति है  
मुझे जो तुम दे रहे, मेरी नियति है 
मेरे ही कर्मों का प्रतिफल 
किसी जन्म की सज़ा है 
मैं निकृष्ट प्राणी  
जन्मों-जन्मो से, भाग्यहीन, शोषित  
जिसे ईश्वर ने संसार में लाया 
ताकि तुम, सुविधानुसार उपभोग करो
क्योंकि तुम शासक हो
सच है-
शासक होना ईश्वर का वरदान है 
शोषित होना ईश्वर का शाप!

- जेन्नी शबनम (1. 5. 2014)
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16 टिप्‍पणियां:

yashoda Agrawal ने कहा…

आपकी लिखी रचना शनिवार 03 मई 2014 को लिंक की जाएगी...............
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शुक्रवार (02-05-2014) को "क्यों गाती हो कोयल" (चर्चा मंच-1600) में अद्यतन लिंक पर भी है!
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

ये सब इंसानी स्वार्थ की साजिशें हैं,दिमाग़ को कंडीशंड कर दिया गया है ,इस स्थिति से निकलना बहुत ज़रूरी है.

Neeraj Neer ने कहा…

ये कड़वा है मगर सच ही है , वरना ईश्वर सबको बराबर न बना देता.... यही प्रकृति है .. मगर मानवीय मूल्यों का तकाजा है कि जो पीछे हैं हम उनका भी ख्याल रखें.. बहरहाल सुन्दर उत्प्रेरक कविता..

राजीव कुमार झा ने कहा…

बहुत सुंदर.
नई पोस्ट : पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत

राजीव कुमार झा ने कहा…

बहुत सुंदर प्रस्तुति.
इस पोस्ट की चर्चा, शनिवार, दिनांक :- 03/05/2014 को "मेरी गुड़िया" :चर्चा मंच :चर्चा अंक:1601 पर.

सदा ने कहा…

जहां तिलमिलाती हैं विवशताएं ....
बेहतरीन भाव संयोजन
अनुपम अभिव्‍यक्ति

RAKESH KUMAR SRIVASTAVA 'RAHI' ने कहा…

सुंदर रचना.

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

सार्थक लेखन ...... कड़वी सच्चाई की उम्दा अभिव्यक्ति

आशीष अवस्थी ने कहा…

बढ़िया लेखन , आ. लेकिन ईश्वर के लिए तो सब समान ही हैं ! और ईश्वर सबसे प्रेम करता हैं !
नवीन प्रकाशन - ~ रसाहार के चमत्कार दिलाए १० प्रमुख रोगों के उपचार ~ { Magic Juices and Benefits }

Onkar ने कहा…

कमाल की रचना

Asha Joglekar ने कहा…

जन्मों-जन्मो से
भाग्यहीन
शोषित
जिसे ईश्वर ने संसार में लाया
ताकि तुम
सुविधानुसार उपभोग करो
क्योंकि तुम शासक हो
सत्य पुरुष का भी और नेताओं का भी।
बहुत सटीक प्रस्तुति।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

शासक होना इश्वर का वरदान है पर वो खुद इश्वर नहीं ही ... ऐसे गिरे हुए शासक ही धब्बा हैं समाज पर ...

dr.mahendrag ने कहा…

सच ही है -
शासक होना ईश्वर का वरदान है
शोषित होना ईश्वर का शाप !
न जाने भगवन ने भेदभाव जैसी व्यवस्था क्यों बनाई , सुन्दर भाव

Rakesh Kumar ने कहा…

शासक होना ईश्वर का वरदान है
शोषित होना ईश्वर का शाप !

ईश्वर को जानने पर ही पता
लग सकता है कि उसका वरदान
क्या है और शाप क्या है.
ईश्वर का चिंतन अति आवश्यक है.

वैसे तो यह भी कहा गया है कि
शासक ईश्वर का ही प्रतिरूप होता
है.
आपकी अभिव्यक्ति कलयुगी शासकों
की कलई खोलती है.

आभार जेन्नी जी.

Dr.R.Ramkumar ने कहा…

इतनी क्रूरता
कैसे उपजती है तुममें ?
कैसे रच देते हो
इतनी आसानी से चक्रव्यूह
जहाँ तिलमिलाती हैं
विवशताएँ
और गूँजता है अट्टहास
जीत क्या यही है ?

सही वक्त पर किया गया सार्थक सवाल बहुत सुन्दर