सोमवार, 29 फ़रवरी 2016

505. मुक्ति का मार्ग (20 हाइकु) पुस्तक 76,77

मुक्ति का मार्ग 

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1.  
मुक्ति का मार्ग  
जाने कहाँ है गुम  
पसरा तम   

2.  
कैसी तलाश  
भटके मारा-मारा  
मन-बंजारा  

3.  
बहुत देखा-  
अपनों का फ़रेब  
मन कसैला

4.  
मन यूँ थका,  
ज्यों वक़्त के सीने पे  
दर्द हो रुका  

5.  
सफ़र लम्बा  
न साया, न सहारा  
जीवन तन्हा  

6.  
उम्र यूँ बीती,  
जैसे जेठ की धूप  
तन जलाती

7.  
उम्र यूँ ढली  
पूरब से पश्चिम  
किरणें चलीं  

8.  
उम्मीदें लौटीं  
चौखट है उदास  
बची न आस  

9.  
मेरा आकाश
मुझसे बड़ी दूर
है मग़रूर।

10.  
चुकता किए  
उधार के सपने  
उऋण हुए  

11.  
जीवन-भ्रम  
अनवरत क्रम  
न होता पूर्ण  

12.  
बचा है शेष-  
दर्द का अवशेष,  
यही जीवन   

13.  
मन की आँखें  
ज़िन्दगी की तासीर  
ये पहचाने  

14.  
नही ख़बर  
होगी कैसे बसर  
क्रूर ज़िन्दगी   

15.  
ये कैसा जीना  
ख़ामोश दर्द पीना  
ज़हर जैसा  

16.  
जीवन-मर्म  
दर्द पीकर जीना  
मानव जन्म   

17.  
मन-तीरथ  
अकारथ ये पथ  
मगर जाना   

18.  
ताक पे पड़ी  
चिन्दी-चिन्दी ज़िन्दगी  
दीमक लगी  

19.  
स्वाँग रचता  
यह कैसा संसार  
दर्द अपार !  

20.  
मिलता वर  
मुट्ठी में हो अम्बर  
मन की चाह   

- जेन्नी शबनम (29. 2. 2016)  
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5 टिप्‍पणियां:

Digvijay Agrawal ने कहा…

आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार 03 मार्च 2016 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

कविता रावत ने कहा…

बहुत सुन्दर हायकु!

ब्लॉग बुलेटिन ने कहा…

आज सलिल वर्मा जी ले कर आयें हैं ब्लॉग बुलेटिन की १२५० वीं पोस्ट ... तो पढ़ना न भूलें ...
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " ब्लॉग बचाओ - ब्लॉग पढाओ: साढे बारह सौवीं ब्लॉग बुलेटिन " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

बेहतरीन अभिव्यक्ति.....बहुत बहुत बधाई.....

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

प्यारे हाइकु .......