फ़ौजी-किसान
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1.
कर्म पे डटा
कभी नहीं थकता
फ़ौजी-किसान।
2.
किसान हारे
ख़ुदकुशी करते,
बेबस सारे।
3.
सत्ता बेशर्म
राजनीति करती,
मरे किसान।
4.
बिकता मोल
पसीना अनमोल,
भूखा किसान।
5.
कोई न सुने
किससे कहे हाल
डरे किसान।
6.
भूखा-लाचार
उपजाता अनाज
न्यारा किसान।
7.
माटी का पूत
माटी को सोना बना
माटी में मिला। (किसान)
8.
क़र्ज़ में डूबा
पेट भरे सबका,
भूखा, अकड़ा। (किसान)
9.
कर्म ही धर्म
किसान कर्मयोगी,
जीए या मरे।
10.
अन्न उगाता
सर्वहारा किसान
बेपरवाह।
11.
निगल गई
राजनीति राक्षसी
किसान मृत।
12.
अन्न का दाता
किसान विष खाता
हो के लाचार।
13.
देव अन्न का
मोहताज अन्न का
कैसा है न्याय? (किसान)
14.
बग़ैर स्वार्थ
करते परमार्थ
किसान योगी।
15.
उम्मीदें टूटीं
किसानों की ज़िन्दगी
जग से रूठी।
16.
हठी किसान
हार नहीं मानता
साँसें निढाल।
17.
रँगे धरती
किसान रंगरेज,
ख़ुद बेरंग।
18.
माटी में सना
माटी का रखवाला
माटी में मिला। (किसान)
19.
हाल बेहाल
प्रकृति बलवान
रोता किसान।
- जेन्नी शबनम (20. 6. 2017)
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3 टिप्पणियां:
सुन्दर हाइकु
Bahut Hee Badhiya . Badhaaee .
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (27-06-2017) को
"कोविन्द है...गोविन्द नहीं" (चर्चा अंक-2650)
पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
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