मंगलवार, 30 जनवरी 2018

567. मरघट (क्षणिका)

मरघट  

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रिश्तों के मरघट में चिता है नातों की  
जीवन के संग्राम में दौड़ है साँसों की  
कब कौन बढ़े कब कौन थमे  
कोलाहल बढ़ते फ़सादों की  
ऐ उम्र! अब चली भी जाओ  
बदल न पाओगी दास्ताँ जीवन की।  

- जेन्नी शबनम (30. 1. 2018)  
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14 टिप्‍पणियां:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर

कविता रावत ने कहा…

जो लिखा जीवन में वही होगा
बहुत खूब

Jyoti khare ने कहा…

वाह
बहुत गहरे तक उतरती रचना
बधाई

ब्लॉग बुलेटिन ने कहा…

ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, दूल्हे का फूफा खिसयाना लगता है ... “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरूवार (01-02-2018) को "बदल गये हैं ढंग" (चर्चा अंक-2866) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

'एकलव्य' ने कहा…

आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' ०५ फरवरी २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

Lokesh Nashine ने कहा…

बहुत खूब

Meena Bhardwaj ने कहा…

बहुत खूब .

शुभा ने कहा…

वाह!!लाजवाब।

Jyoti khare ने कहा…

बहुत बढ़िया
सच्ची अभिव्यक्ति
सादर

Unknown ने कहा…

Have you complete script Looking publisher to publish your book
Publish with us Hindi, Story, kavita,Hindi Book Publisher in India

Meena Bhardwaj ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना.

'एकलव्य' ने कहा…

निमंत्रण :

विशेष : आज 'सोमवार' १९ फरवरी २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच ऐसे ही एक व्यक्तित्व से आपका परिचय करवाने जा रहा है जो एक साहित्यिक पत्रिका 'साहित्य सुधा' के संपादक व स्वयं भी एक सशक्त लेखक के रूप में कई कीर्तिमान स्थापित कर चुके हैं। वर्तमान में अपनी पत्रिका 'साहित्य सुधा' के माध्यम से नवोदित लेखकों को एक उचित मंच प्रदान करने हेतु प्रतिबद्ध हैं। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत खूब लिखा आपने हर पंक्ति
अपने आप मैं सम्पूर्ण