अर्थ ढूँढ़ता
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1.
मन सोचता-
जीवन होता है क्या?
अर्थ ढूँढता।
2.
बसंत आया
रिश्तों में रंग भरा
मिठास लाया।
3.
याद-चाशनी
सुख की है मिठाई
मन को भायी।
4.
फ़िक्र व चिन्ता
बना गए दुश्मन,
रोगी है काया।
5.
वक़्त की धूप
शोला बन बरसी
झुलसा मन।
6.
सुख व दुख
यादों का झुरमुट
अटका मन।
7.
ख़ामोश बही
गुमनाम हवाएँ
ज्यों मेरा मन।
8.
मैं सूर्यमुखी
तुम्हें ही निहारती
तुम सूरज।
9.
मेरी वेदना
सर टिकाए पड़ी
मौन की छाती।
10.
छटपटाती
साँसों को तरसती
बीमार हवा।
- जेन्नी शबनम (23. 11. 2018)
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3 टिप्पणियां:
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (07-12-2018) को "भवसागर भयभीत हो गया" (चर्चा अंक-3178) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत अच्छी प्रस्तुति
सुन्दर हाइकु
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