दुःख (10 हाइकु)
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1.
दुःख का पारा
सातवें आसमाँ पे
सातवें आसमाँ पे
मन झुलसा।
2.
दुःख का लड्डु
रोज़-रोज़ यूँ खाना
बड़ा ही भारी।
3.
दुःख की नदी
बेखटके दौड़ती
बेखटके दौड़ती
बे रोक-टोक।
4.
साथी है दुःख
साथ है हरदम
छूटे न दम।
छूटे न दम।
5.
दुःख की वेला
कभी तो गुज़रेगी
कभी तो गुज़रेगी
मन में आस।
6.
दुःख की रोटी
भरपेट है खाई
भरपेट है खाई
फिर भी बची।
7.
दुःख अतिथि
जाने की नहीं तिथि
जाने की नहीं तिथि
बड़ा बेहया।
8.
दुःख की माला
काश ये टूट जाती
काश ये टूट जाती
सुकून पाती।
9.
मस्त झूमता
बड़ा ही मतवाला
बड़ा ही मतवाला
दुःख है योगी।
- जेन्नी शबनम (28. 9. 2018)
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8 टिप्पणियां:
नमस्ते,
आपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
गुरुवार 20 दिसम्बर 2018 को प्रकाशनार्थ 1252 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
सधन्यवाद।
दुःख की वेला अवश्य ही गुज़रेगी... दिल को छूते बहुत ख़ूबसूरत हाइकु...
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (21-12-2018) को "आनन्द अलाव का" (चर्चा अंक-3192) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
वाह
लाजवाब हायकू
वाह!!!
वाह बहुत सुन्दर हाइकु ।
बहुत सरल शब्दों में अच्छा विश्लेषण किया है आपने दुःख का....
बहुत सुन्दर
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