शुक्रवार, 20 मार्च 2020

650. गौरैया (गौरैया पर 15 हाइकु) पुस्तक- 114-116

गौरैया  
(गौरैया पर 15 हाइकु)

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1.  
ओ री गौरैया,  
तुम फिर से आना  
मेरे अँगना।  

2.  
मेरी गौरैया  
चीं चीं-चीं चीं बोल री,  
मन है सूना।  

3.  
घर है सूना,  
मेरी गौरैया रानी  
तू आ जा ना रे।  

4.  
लुप्त अँगना  
सूखे ताल-पोखर  
रूठी गौरैया।  

5.  
कंक्रीट बाधा  
कहाँ जाए गौरैया  
घोंसला टूटा।  

6.  
प्यासी गौरैया  
प्यासे ताल-तलैया  
कंक्रीट-वन।  

7.  
बिछुड़े साथी  
हमारी ये गौरैया  
घर को लौटी।  

8.  
झुंड के झुंड  
सोनकंठी गौरैया  
वन को उड़ी।  

9.  
रात व भोर  
चिरई करे शोर  
हो गई फुर्र।  

10.  
भोज है सजा  
पथार है पसरा  
गौरैया ख़ुश।  

11.  
दाना चुगती  
गौरैया फुदकती  
चिड़े को देती।  

12.  
गौरैया बोली-  
पानी दो, घोंसला दो  
हमें जीने दो।  

13.  
गौरैया रानी  
आज है इतराती  
संग है साथी।  

14.  
छूटा है देस  
चली है परदेस  
गौरैया बेटी।  

15.  
फुर्र-सी उड़ी  
चहकती गौरैया  
घर वीराना।  

(पथार - सुखाने के लिए फैलाया गया अनाज)   

- जेन्नी शबनम (20. 3. 2020)  
(विश्व गौरैया दिवस पर)
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4 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

गौरैया दिवस को सार्थक करते सुन्दर हाइकु।

Sudha Devrani ने कहा…

गोरैया पर सुन्दर हायकु
वाह!!!

Onkar ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति

दिगम्बर नासवा ने कहा…

गौरैया दिवस को बाखूबी सार्थक किया है आपने ...
काश इंसान समझ सके अपनी अंधी रफ़्तार को और कुछ रुके दूसरों को भी जीने दे ...