सोमवार, 27 अप्रैल 2020

658. निपटाया जाएगा (तुकांत)

निपटाया जाएगा  

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विरोध के स्वर को कुछ यूँ दबाया जाएगा  
होश में जो हो उसे पागल बताया जाएगा।    

काट छाँटकर बाँट-बाँटकर यह संसार चलेगा  
रोटी और बेटी का मसला यूँ निपटाया जाएगा।    

क्रूरता और पाश्विकता कई खेमों में बँटे  
चौक चौराहों पर टँगा जिस्म दिखाया जाएगा।    

हदों की परवाह किसे बेहद से हम सब गुज़रे  
मुट्ठियों का इंक्लाब अब बेदम कराया जाएगा।    

नहीं परवाह सबको ज़माने के बदख्याली की  
नफ़रतों में अमन का पौधा खिलाया जाएगा।    

बाट जोहकर समय जब हथेलियों से फिसल जाएगा  
बद्दुआएँ 'शब' को देकर फिर ख़ूब पछताया जाएगा।   

- जेन्नी शबनम (27. 4. 2020) 
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9 टिप्‍पणियां:

Sweta sinha ने कहा…

वाह वाह शानदार....हर बंध बेहद लाज़वाब है।
परिस्थितिजन्य मन की खिन्नता की आक्रोशित अभिव्यक्ति।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (29-04-2020) को   "रोटियों से बस्तियाँ आबाद हैं"  (चर्चा अंक-3686)     पर भी होगी। 
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
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कोरोना को घर में लॉकडाउन होकर ही हराया जा सकता है इसलिए आप सब लोग अपने और अपनों के लिए घर में ही रहें। आशा की जाती है कि अगले सप्ताह से कोरोना मुक्त जिलों में लॉकडाउन खत्म हो सकता है।  
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
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सादर...! 
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 

पवन शर्मा ने कहा…

खूबसूरत दिन बनेगा पाठकों संग शायरा का-
इस ग़ज़ल को आज जब उत्तम बताया जाएगा

अजय कुमार झा ने कहा…

हमेशा की तरह बहुत ही धारदार वह बहुत ही मारक सभी के सभी एक से बढ़कर एक सामयिक सार्थक व सटीक ।

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर = RAJA Kumarendra Singh Sengar ने कहा…

बढ़िया

संगीता पुरी ने कहा…

व्यवस्था से लड़ने के लिए हमारे पास समय की कमी रही !
फिलहाल तो बीमारी से लड़ने की जरूरत है !

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

????

Onkar ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति

Parmod Kumar ने कहा…

बेहद लाज़वाब है