वसन्त पञ्चमी
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1.
पीली सरसों
आया है ऋतुराज
ख़ूब वो खिली।
2.
ज्ञान की चाह
है वसन्त पञ्चमी
अर्चन करो।
3.
पावस दिन
ये वसन्त पञ्चमी
शारदा आईं।
4.
बदली ऋतु,
काश! मन में छाती
बसन्त ऋतु।
5.
अब जो आओ
ओ! ऋतुओं के राजा
कहीं न जाओ।
6.
वाग्देवी ने दीं
परा-अपरा विद्या,
हुए शिक्षित।
7.
चुनरी रँगा
बसन्त रंगरेज़
धरा लजाई।
8.
पीला ही पीला
बसन्त जादूगर
फूल व मन।
9.
वसन्त ऋतु!
अब नहीं लौटना
हाथ थामना।
10.
हे पीताम्बरा!
सदा साथ निभाना
चेतना तुम।
- जेन्नी शबनम (5. 2. 2022)
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6 टिप्पणियां:
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर रविवार 06 फ़रवरी 2022 को लिंक की जाएगी ....
http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
बहुत सुन्दर वासंती रंग में रंगी हायकु प्रस्तुति
बसंत ही बसंत । बेहतरीन हाइकू ।
अद्भुत!!!! इतने कम शब्दों में एक बेहतरीन रचना।
सुन्दर बसन्ती हाइकू!
good poem on basant ritu
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