शनिवार, 24 सितंबर 2022

750. मृत्यु सत्य है (मृत्यु पर 50 हाइकु)

मृत्यु सत्य है
(मृत्यु पर 50 हाइकु)

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1. 
मृत्यु सत्य है   
बेख़बर नहीं हैं     
दिल रोता है।   

2. 
शाश्वत आत्मा   
अपनों का बिछोह   
रोती है आत्मा।   

3. 
काम न आता   
काल जब आ जाता   
अकूत धन।   

4. 
यम कठोर   
आँसू से न पिघला,   
माँ-बाबा मृत।   

5. 
समय पूर्ण,   
मनौती है निष्फल,   
यम का धर्म।   

6. 
यम न माना   
करबद्ध निहोरा   
जीवन छीना।   

7. 
हारा मानव,   
छीन ले गया प्राण   
यम दानव।

8.
आ धमकता
न चिट्ठी न सन्देश 
यम अतिथि।   

9. 
मौत का खेला   
कोरोना फिर खेला   
तीसरा साल।   

10. 
मन बेकल   
जाने कौन बिछड़े   
कोरोना काल।   

11. 
यमदूत-सा,   
कोरोना प्राण लेता   
बहुत डराता।   

12. 
कोहराम है   
कोरोना के सामने   
सब लाचार।   

13. 
थमता नहीं   
कोरोना का क़हर   
श्मसान रोता।   

14. 
मालिक प्राण   
जब चाहे छीन ले   
देह ग़ुलाम।   

15. 
मृत्यु का पल   
अब समझ आया   
जीवन माया।   

16. 
लेकर जाती   
वैतरणी के पार,   
मृत्यु है यार।   

17. 
पितृलोक है   
शायद उस पार,   
सुख-संसार।   

18. 
दुःख अपार   
मिलता आजीवन,   
निर्वाण तक।   

19. 
धम्म से आई   
लेकर माँ का प्राण   
मौत है भागी।   

20. 
बिना जिरह   
मौत की अदालत   
मौत की सज़ा।   

21. 
वक़्त के पास   
अवसान के वक़्त   
नहीं है वक़्त।   

22. 
मौत बेदर्द   
ज़रा देर न रुकी,   
अम्मा निष्प्राण।   

23. 
आस का दीया   
सदा के लिए बुझा,   
मौत की आँधी।   

24. 
निर्दय मौत   
छीन ले गई प्राण   
थे अनजान।   

25. 
मृत्यु का खेल,   
ज़रा न संवेदना   
है विडम्बना।   

26. 
ज़रा न दर्द   
मौत बड़ी बेदर्द   
हँसी निर्लज।   

27. 
ताक़त दिखा   
मौत मुस्कराकर   
प्राण हरती।   

28. 
माँ को ले गई   
डरा धमकाकर   
मौत निष्ठुर।   

29. 
पितृधाम में   
मृत्यु है पहुँचाती,   
मृत्यु-रथ से।   

30. 
मौत ने छीने   
हमारे अपनों को,   
हृदय ज़ख़्मी।   

31. 
खींच ले चलो,   
यम का फरमान   
जिसको चाहे।   

32. 
रूला-रूलाके   
तमाशा है दिखाती   
मौत नर्तकी।   

33. 
बच्चे चीखते   
हृदय विदारक,   
मौत हँसती।   

34. 
लिप्सा अनन्त   
क्षणभंगुर प्राण   
लोभी मानव।   

35. 
आ धमकती   
मग़रूर है मौत   
साँसें छीनती।   

36. 
निगल गई   
मौत फिर भी भूखी   
हज़ारों प्राण।   

37. 
सब भकोसा   
आदमी और पैसा   
भूखा कोरोना।   

38. 
मृत्यु की जीत   
जीवन-मृत्यु खेल,   
शाश्वत सत्य।   

39. 
मौत का यान   
जबरन उठाकर   
फुर्र से पार।   

40. 
सहमी फिज़ा   
ठिठकी देख रही,   
मौत का जश्न।   

41. 
स्थायी बसेरा,   
किराए का संसार   
मृत्यु का घर।   

42. 
हज़ारों मौत   
असामयिक मौत,   
ख़ून के आँसू।   

43. 
देख संसार   
मौत बना व्यापार   
बेबस काल।   

44. 
होते विलीन   
अपने या पराये,   
मौत से हारे।   

45. 
सन्देश, डरी   
दिल है दहलाती   
मौत की पाती।   

46. 
मौत-कटार   
दिल जिसपे आए   
करती वार।   

47. 
निष्प्राण प्राणी   
मौत से कैसे लड़े   
साँसों के बिन।   

48. 
क्रूर नियति   
मज़ाक है उड़ाती   
मौत की साथी।   

49. 
ख़ून ही ख़ून   
मौत है नरभक्षी,   
किसकी बारी।   

50. 
असह्य व्यथा   
सबने है समझा,   
मौत निर्बुद्धी।   

- जेन्नी शबनम (24. 9. 2022)

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6 टिप्‍पणियां:

Kamini Sinha ने कहा…

सादर नमस्कार ,

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (25-9-22} को "श्राद्ध कर्म"(चर्चा-अंक 4562) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

लाजवाब

SANDEEP KUMAR SHARMA ने कहा…

वाह

Onkar ने कहा…

बहुत सुंदर

Swarajya karun ने कहा…

गागर में सागर की कहावत को साकार करती इन छोटी -छोटी कविताओं में जीवन दर्शन की मार्मिक अभिव्यक्ति है। हार्दिक आभार। शारदीय नवरात्रि की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।

Swarajya karun ने कहा…

गागर में सागर की कहावत को साकार करती इन छोटी -छोटी कविताओं में जीवन दर्शन की मार्मिक अभिव्यक्ति है। हार्दिक आभार। शारदीय नवरात्रि की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।