सपने हों पूरे
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1.
मन में जो आस खिली जीवन में मेरे
अब जाकर प्रीत मिली।
2.
थी अभिलाषा ये मन में
सपने हों पूरे
सारे इस जीवन में।
- जेन्नी शबनम (10. 7. 2013)
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गर तू आ जाता
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1.
पानी बहता जैसे
बिन जाने समझे
जीवन गुज़रा वैसे।
2.
फूलों-सी खिल जाती
गर तू आ जाता
तुझमें मैं मिल जाती।
3.
अजब यह कहानी है
बैरी दुनिया से
पहचान पुरानी है।
4.
सुख का सूरज चमका
आशाएँ जागी
मन का दर्पण दमका।
- जेन्नी शबनम (30. 1. 2014)
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4 टिप्पणियां:
सुंदर सृजन । ऊपर वाले मुक्तक किस विधा में हैं ।
सुंदर पोस्ट
सुन्दर रचना
वाह!!!
बहुत सुन्दर माहिए।
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