शुक्रवार, 7 अक्तूबर 2022

752. सपने हों पूरे / गर तू आ जाता (6 माहिया)

सपने हों पूरे

***


1.
मन में जो आस खिली 
जीवन में मेरे 
अब जाकर प्रीत मिली। 
 
2.
थी अभिलाषा ये मन में 
सपने हों पूरे 
सारे इस जीवन में।  

- जेन्नी शबनम (10. 7. 2013)
_____________________


गर तू आ जाता 
*** 

1.
पानी बहता जैसे 
बिन जाने समझे 
जीवन गुज़रा वैसे। 

2.
फूलों-सी खिल जाती 
गर तू आ जाता 
तुझमें मैं मिल जाती। 

3.
अजब यह कहानी है 
बैरी दुनिया से 
पहचान पुरानी है। 

4.
सुख का सूरज चमका 
आशाएँ जागी 
मन का दर्पण दमका। 

- जेन्नी शबनम (30. 1. 2014)
____________________

4 टिप्‍पणियां:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

सुंदर सृजन । ऊपर वाले मुक्तक किस विधा में हैं ।

Onkar ने कहा…

सुंदर पोस्ट

MANOJ KAYAL ने कहा…

सुन्दर रचना

Sudha Devrani ने कहा…

वाह!!!
बहुत सुन्दर माहिए।