गुरुवार, 21 दिसंबर 2023

770. हँसती हुई नारी (चोका)

हँसती हुई नारी (चोका)

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लगती प्यारी
हँसती हुई नारी
घर-संसार
समृद्धि भरमार
रिश्तों की गूँज
पसरी अनुगूँज
चहके घर
सुवासित आँगन
बच्चों का प्यार
पुरुष से सम्मान
पाकर के स्त्री
चहकती रहती,
खिलखिलाती
सम्बन्धों की फ़सल
लहलहाती
नाचती हैं ख़ुशियाँ
प्रेम-बग़िया
फूलती व फलती,
पाकर प्रेम
पाके अपनापन
भर उमंग
करती निछावर
तन व मन
सूरज-सा करती
निश्छल कर्म
स्त्री सदैव बनती
मददगार
अपने या पराए
चाँद-सी बन
ठण्डक बरसाती
नहीं सोचती
सिर्फ़ अपने लिए
करती पूर्ण
वह हर कर्तव्य
ममत्व-भरा
नारी है अन्नपूर्णा
बड़ी संयमी
मान-प्यार-दुलार
नारी-मन का सार।

- जेन्नी शबनम (7. 12. 2023)
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2 टिप्‍पणियां:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सत्य है |

Onkar ने कहा…

सुंदर रचना