रविवार, 25 मई 2025

793. किरदार

किरदार

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थक गई हूँ अपने किरदार से
इस किरदार को बदलना होगा
ढेरों शिकायत है वक़्त से
कुछ तो उपाय करना होगा
वक़्त न लौटता है, न थमता है
मुझे ख़ुद को अब रोकना होगा
ज़मीन-आसमान हासिल नही
नसीब से कब तक लड़ना होगा?
न अपनों से उम्मीद, न ग़ैरों से
हदों को मुझे ही समझना होगा
बेइख़्तियार रफ़्तार ज़िन्दगी की
अब ज़िन्दगी को रुकना होगा
थक गई हूँ अपने किरदार से 
इस किरदार को अब मरना होगा  
'शब' का किरदार ख़त्म हुआ 
इस किरदार को मिटना होगा। 

-जेन्नी शबनम (25.5.2025)
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4 टिप्‍पणियां:

Pammi singh'tripti' ने कहा…

आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 28 मई 2025को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
अथ स्वागतम शुभ स्वागतम।
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हरीश कुमार ने कहा…

बहुत सुंदर

रेणु ने कहा…

सारा दर्द शब्दों में उडेल दिया गया है जेनी जी🙏

Onkar ने कहा…

सुंदर प्रस्तुति