मंगलवार, 6 मई 2025

792. सफ़र जारी है

सफ़र जारी है

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बहुत कुछ छूट गया
बहुत कुछ छोड़ दिया
ज़िन्दगी न ठहरी, न थमी
चलती रही, फिरती रही 
न कोई राह दिखाने वाला 
न कोई साथ निभाने वाला  
राह बनाती रही, बढ़ती रही  
न मक़ाम आया, न मंज़िल ही मिली     
मन भारी है, सफ़र जारी है  
मगर ज़िन्दगी नहीं हारी है।

-जेन्नी शबनम (6.5.2025)
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2 टिप्‍पणियां:

Pammi singh'tripti' ने कहा…



आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 7 मई 2025 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

Onkar ने कहा…

बहुत सुंदर