सफ़र जारी है
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बहुत कुछ छूट गया
बहुत कुछ छूट गया
बहुत कुछ छोड़ दिया
ज़िन्दगी न ठहरी, न थमी
ज़िन्दगी न ठहरी, न थमी
चलती रही, फिरती रही
न कोई राह दिखाने वाला
न कोई साथ निभाने वाला
न कोई राह दिखाने वाला
न कोई साथ निभाने वाला
राह बनाती रही, बढ़ती रही
न मक़ाम आया, न मंज़िल ही मिली
मन भारी है, सफ़र जारी है
मगर ज़िन्दगी नहीं हारी है।
न मक़ाम आया, न मंज़िल ही मिली
मन भारी है, सफ़र जारी है
मगर ज़िन्दगी नहीं हारी है।
-जेन्नी शबनम (6.5.2025)
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2 टिप्पणियां:
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 7 मई 2025 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बहुत सुंदर
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