शुक्रवार, 28 जनवरी 2011

209. दस्तावेज़ (क्षणिका)

दस्तावेज़

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ज़िन्दगी एहसासों का दस्तावेज़ है
पल-पल हर्फ़ में पिरो दिया
शायद कभी कोई पढ़े मुझे भी 

- जेन्नी शबनम (26. 1. 2011)
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9 टिप्‍पणियां:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

सटीक ..

kshama ने कहा…

Sundar panktiyan!
Gantantr diwas kee mabarak baad qubool karen!

मनोज कुमार ने कहा…

सही कहा, ज़िन्दगी अहसासों का दस्तावेज़ है।

mridula pradhan ने कहा…

zara si...pyari si....

Udan Tashtari ने कहा…

शानदार!

संजय भास्‍कर ने कहा…

ला-जवाब" जबर्दस्त!!

Kailash Sharma ने कहा…

लाज़वाब !

***Punam*** ने कहा…

chhoti si aashaa....!!
sundar...ati sundar !!

सहज साहित्य ने कहा…

आपने सच कहा है -ज़िन्दगी यादों का ऐसा दस्तावेज़ है , जिससे हम मुकर नहीं सकते । गागर में सागर भर दिया आपने ।